Home Uncategorized ” जरा सोचें , विचारें , मंथन करें तो सही परिणाम निकलेंगे ‘ |

” जरा सोचें , विचारें , मंथन करें तो सही परिणाम निकलेंगे ‘ |

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जरा   सोचो
‘गलत  आदमी’  से  बहस  करने  से  बेहतर  है , ‘ सही  आदमी ‘  से  तालमेल ,
‘अर्थ  रहित’ शब्दों  के  प्रयोग  से, ‘सार्थक  शांति’  का  प्रयास  बेहतर  है ‘ !

[2]

जरा   सोचो
आरक्षण‘  का  ‘विनाश’  नहीं  हुआ ,  तो  ‘देश  का  विनाश’  निश्चित  है,
‘सख्त  कानून’  की  जरूरत  है, ‘असली जामा’ पहनाए  सरकार  जी’ !

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जरा   सोचो
‘उम्र’  घटती  जा  रही  है  रात दिन, कब  ‘मस्ती’  में  झूमेगा  बता ,?
‘भूखे’  को  खिला  दे, प्यासे  को  पिला  दे , कुछ  तो  भला  कर  जा’ !

[4]

जरा   सोचो
‘पहले  खुद  अच्छे  बनो ,  अच्छे  ही  मिलते  जाएंगे ,
‘ जिन्हें ‘अच्छों की तलाश’ है ,’खाली हाथ नहीं लौटेंगे’ !

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जरा सोचो
‘जनसंख्या’  विस्फोट  ‘ सितम  से  भीषणतम ‘  हो  गया  है ,
‘ इसके  तुरंत  ‘निस्तारण’ हेतु ‘सख्त  कानून’ की  जरूरत  है’ !

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जरा   सोचो
‘जरूरत   से   ज्यादा   धन  , लालच  ,  आलस ,   अभिमान  , ‘ इच्छाएं  , 

 ताकत  , प्रेम  , घृणा  ,   अहम   भाव  ,  सब   जहर   ही   तो   है  ‘ !

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जरा सोचो
‘जिनके  लिए  ‘हुस्न’  पर  शबाब  आया,  वही  ‘बिखर’  गया,
‘वाह  रे  किस्मत  ! तू  भी  बेवजह  ‘धोखा’  परोस  देती  है ‘ !

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जरा सोचो
‘ताउम्र’  ऑक्सीजन  देने  वाले  ‘पेड़’  को  हम  ‘काट’  डालते  हैं ,
”जब ‘डॉक्टर’ ऑक्सीजन देता है,’उसे ‘भगवान’ कहते नहीं थकते’ ‘

[9]

जरा सोचो
‘विपरीत’  परिस्थितियों  के  विरुद्ध  ‘लड़ना’  सीख  लेना  चाहिए,
‘गला काट प्रतिस्पर्धा’ में ‘आशावादी’ बने रहना बचा लेगा तुम्हें’ !

[10]

जरा सोचो
‘खुलकर हंसने’ को ‘स्वास्थ्यवर्धक’ और ‘जीवनवर्धक’औषधि माने,
‘ठहाके’  का  स्पंदन  ‘ रक्त वाहिनी ‘  को ‘ जीवित ‘  बनाए  रखती  है’ !
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