[1]
मित्रों ,
‘चाहे मेरा हाल मत पुछो परंतु ‘अपना हाल बता दिया करो ‘,
‘इतने में भी तसल्ली है ,’समय आराम से कट जाता है ‘|
[2]
‘ईंटें’- गलतफहमी की शिकार हैं’ ,
“इमारत उन पर ही खड़ी हुई है ‘,
‘सीमेंट,सरिया, मानव कर्म का वजूद’
‘समझती ही नहीं ‘ईंटे ‘|
[3]
मेरा विचार :-
” सज्जन व्यक्ति सदा प्रसन्नता ही प्रदान करते हैं परंतु कुचरित्र प्राणी भी अपनी उड़ंदता दिखा कर , उचित -अनुचित का ज्ञान करा कर विशेष प्रकार का लाभ पहुंचाने का कार्य करता है | अतः किसी के विषय में विचार व्यक्त करने से पूर्व ‘ सुविचार ‘ जरूर करें ” |
[4]
‘ज्ञान ढूंढोगे तभी ‘अज्ञान’ कम होगा’ , ‘अज्ञान का बोझ सिर पर चढ़ा रहा तो’ ‘ज्ञान को ढूंढते रह जाओगे’ |
[5]
‘आपके बोले शब्द’ और ‘किया गया व्यवहार’ ‘विचारणीय है ‘,
‘मित्र या शत्रु’ ‘इन्हीं के द्वार से निकलते हैं’ ,’ये ही कर्मस्थली है ‘|
[6]
‘हम सभी विभिन्न धर्मों की चिड़ियाँ सरीखे हैं पर चहकते ही नहीं ‘,
‘एक -दूसरे की टांगें खींचते रहते हैं ‘ ,’ जीने का सलीका ही नहीं ‘|
[7]
‘गलत को गलत कहने में संकोच’ ,
‘इंसानियत छीन लेता है ‘,
‘आप पूर्णतया अक्षम प्राणी हैं ‘,
‘आपकी प्रतिभा भी व्यर्थ है ‘|
[8]
‘तुम कंकड़ों को तैरा नहीं सकते ‘, ‘घी’ को डूबा नहीं सकते ‘,
‘सत्कर्मों से सदगती ‘ और ‘दुष्कर्मों से दुर्गति’ निश्चित समझ ‘|
[9]
‘ध्यानपूर्वक दूसरों को सुनना ,समझना ,
‘प्रभावी संवाद का लक्षण है’,
‘हम भूल गए हैं की एक-दूसरे से जुड़े
रहना ही ‘शांति’ की जड़ है’|
[10]
‘दहाड़ कर हँसना ‘निराशा’ खत्म करने का निश्चित स्वरूप है’ ,
‘काश ! हम सभी यूं ही ‘मस्त’ हो कर ‘ जी लिए होते’ |
[11]
‘स्नेह का आदान-प्रदान अब सुंदर शब्दों के उच्चारण से ही संभव है’ ,
‘कर्कस वाणी आदमी को किसी काम का नहीं छोडती’ |