Home ज़रा सोचो जब तू ‘ ‘अहम’ मे ‘ डूबता है ‘ , ‘किसी को कुछ भी नहीं समझता

जब तू ‘ ‘अहम’ मे ‘ डूबता है ‘ , ‘किसी को कुछ भी नहीं समझता

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‘जब तू ‘ ‘अहम’ मे ‘ डूबता है ‘ , ‘किसी को कुछ भी नहीं समझता ‘,
‘और जब’ ‘वहम ‘ करता है ‘ किसी पर’ , ‘सीना फाड़ देता है उसका ‘,
‘अहम ‘ और ‘वहम ‘ ‘दोनों को जीवन से उतार फैकों’ –‘ दोस्तों ‘,
‘दोनों नष्ट-कारक हैं ‘,’ कष्ट- दायक हैं’ ,’ कोई दवा नहीं इनकी ‘ |

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