[1]
‘प्रभु का स्वरूप मन में स्थापित करो ,’संभलते जाओगे,
‘उसका स्मरण आपका कुछ भी बिगड़ने नहीं देगा ‘ !
[2]
‘जिम्मेदारियां घर की , हमारी नींद उड़ा देती हैं,
‘जो डरा मारा गया,’जिसने निभाई ,’वहीं ‘जी’ भी गया’ !
[3]
‘ क्रोध रूपी हवा ‘ ‘ बुद्धि रूपी दीपक ‘ को बुझा देती है,
रिश्तों को तोड़ो मत सहज कर रखो, काम आ ही जाते हैं, !
[4]
‘अक्सर लोगों की बात , तुम दिल से लगा लेते हो,
‘यही तुम्हारी परेशानी का कारण है, जरा बचकर रहें’ !
[5]
‘खुदा ने ख्वाहिशें बेहिसाब दे दी , ‘ सांसे नपी तुली,
‘यह घटती नहीं, वह बढ़ती नहीं, ‘डमाडोल है जीवन’ !
[6]
‘नींद’ बड़ी बेशकीमती चीज है,
‘सेहत का राज छुपा है इसमें,
‘जिसकी ‘नींद’ उड़ी उसका सब कुछ खत्म,
‘सही ‘जी’ नहीं पाता’ !
[7]
‘चुनाव नहीं लड़ना जो फिक्र करूं,
‘कौन पसंद करता है मुझे,
‘स्नेह से नवाजो या नफरत से,
‘हम तो हंस कर जीने के आदि हैं’ !
[8]
‘चिंता’ केवल समय की बर्बादी है,
‘ कुछ भी नहीं बदलेगा,
‘यह आपकी सारी खुशियां चुरा लेगी,
‘ठगे रह जाओगे’ !
[9]
‘दर्द’ केवल ‘दर्द’ नहीं देता,’सही अपनों की पहचान भी कराता है,
‘हमें व्याकुल देख कर , ‘ अनजान बने रहने का ढोंग करते हैं ‘ !