[1]
‘स्वस्थ और उत्तम सोच का मित्र मिलना , सौभाग्य की बात है ‘,
‘सन्मार्ग पर चलते रहने के प्रयास का को ई तोड़ नहीं होता’|
[2]
‘ कुसंगति को त्याग ‘,’ सुसंगति का दामन पकड़ ‘,
‘प्रेम की ज्योति जगा मन में’ ,’सत्संग की महिमा समझ’|
[3]
‘विषैले बाण चला कर कोई रंग जमाता है तो शांत रहने में भलाई है ‘,
‘वाणी को आराम देते ही शुक्रिया अदा करो और तुरंत भूल जाओ ‘|
[4]
‘सभी कहते है ‘इज्जत का सवाल है’,
‘कितने नंबर का है’ कोई नहीं बताता ‘,
‘ऊल-जलूल सवालों से घिरे रहते हैं ‘,
‘सत्कर्म का बीड़ा’ क्यों नहीं उठाते ‘?
[5]
‘राम-कर्म कभी कुकर्मों में फँसने नहीं देते, ‘सबका प्रिय बनाते हैं’,
‘दुष्कर्मों के परिणाम भयंकर हैं,
‘रावण को आज तक फूंकते है सब ‘|
[6]
‘रावण दहन करके मस्त हो ,
‘कभी मन के रावण को मारा नहीं’,
‘लिप्सा रूपी रावण खतम करते तो,
‘दरिया पार कर जाते ‘|
[7]
‘बुद्धिमान वही है जो अपनी गल्ति में सुधार करे , मूल्यांकन करे ‘,
‘ हठ ‘ सदा हानिकारक है ‘,’ बने बनाए कामों को बिगाड़ देता है ‘|
[8]
‘ असफलता की आशंका ‘ आविष्कार ‘ करने ही नहीं देती,
‘उत्साही बने रह कर ही ‘असफलता का दुष्कर्म’ तोड़ सकते हो’|
[9]
‘अपने आप को कम आंकना ‘ व ‘ दूसरों से तुलना करना ‘ सरासर गलत है ,
‘आत्मविश्वास की इस कमी के कारण’ व्यक्तित्व का सही निर्माण नहीं होता’|
[10]
‘हम परमात्मा द्वारा प्रदत्त मानव देह का सदुपयोग नहीं करते’,
‘विषय – वस्तुओं में लिप्त रहते हैं ,अनुत्तरदाई व्यवहार करते हैं ‘|