Home ज़रा सोचो “छणिक सोच-विचार “

“छणिक सोच-विचार “

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आज  जब  एक  पिता  अपनी  2  माह  की  बिटिया  को  टीका  लगवाने  हॉस्पिटल  मैं  जाता है | टीका  लगाने  से  पहले  डाक्टर  ने  समझाया – ‘बच्ची  रोएगी  बहुत , बाद  मे  हल्का  बुखार  भी  आएगा , टीका  लगाने  वाले  स्थान  पर  सूजन  भी  आएगी “| मैंने  डाक्टर  से  कहा,-‘ ऐसा टीका  क्यों  लगते  हो ? डाक्टर  ने  फिर  समझाया , ‘इस  टीके  से  भविष्य  मैं  कोई  बड़ी  बीमारी  नहीं  होगी , बच्चे की  रोग-प्रतिरोधक  छमता  बढ़  जाएगी “ |

          मैं  सब  कुछ  समझ  चुका   था  और  अपनी  बेटी को  दर्द  सहने  और  मैं  उस  दर्द  को  देखने  को  तैयार  हो  गया |

          दोस्तों – देश  वासियों , नोट-बंदी  के  रूप  मे  वही  टीका  हर  प्राणी  को  लगाया  जा  रहा  है ,  थोड़ा  दर्द  सह  लीजिये |  50  दिन  की  परेशानी  और  5  पीढ़ियों  के  उज्जवल  भविष्य  की  संभावना |

          जो  लोग  कह  रहे  हैं  कि  नोट-बंदी  से  125  करोड़ भारतीयों को बड़ी  तकलीफ  हो  रही  है  , कृपया  उस  लिस्ट  मैं  से  मेरा  नाम काट  दो  }  मुझे  कोई  तकलीफ   नहीं  है  | 

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