[1]
श्री राधे ‘भाव ‘ की भूखी हैं , ‘प्रेम’ की प्यासी हैं ,
शुद्ध मन से ‘याद’ तो कर ,’भावों’ को प्रकट तो कर |
[2]
जिसके मिलने की ‘उम्मीद’ न हो , पर ‘दिल के पास ‘ रहता हो ,
इसे ‘मोहब्बत’ का ‘दबदबा’ समझो , ये यारी का ‘ उत्तम जबाब’ है |
[3]
‘काले बोर्ड’ ने न जानें कितनी ‘ जिंदगी’ संवार दी होंगी ,
न जानें क्यों ‘ काले ‘ को ‘ अशुभ ‘ कह कर ‘ दुनियाँ ‘ नकार देती है |
[4]
दिले नादां को मुफ्त का खाने की आदत थी , निकम्मा रह गया ,
‘हाथ-पैर हिलाते, कुछ करके खाते , जीने का आनन्द चौगुना होता |
[5]
जीने का अवसर मिला है , हंस कर गुज़ार दे ,
कल न जाने जिंदगी का फैसला क्या हो ?
[6]
‘लरजते होठ , नशीली नज़र, जुल्फे- बंगाल -क्या कयामत हो ,
जिधर से गुज़रोगे , जमाना ‘ दिल के फफूले ‘ भूल जाएगा |
[7]
‘बात’ कहने का ‘लहजा’ कई बार ‘दिल’ कुरेद देता है ,
‘गैरो’ से क्या ‘शिकायत’, अपनों से ‘हार’ जाते हैं हम तो |
[8]
जरा सोचो
सदा ‘सर्वोत्तम’ करते रहें, ‘परिणाम’ सुखदाई ही आएंगे,
जरा सी ‘कोताही’- ‘तबाही की राहें’ खोले बिना नहीं रुकती !
[9]
जरा सोचो
मैं ‘शब्दों’ द्वारा ‘सबको’ खटखटाये जाता हूं, ‘बुरा’ मत मानना,
आपकी ‘आहटों’ से ही मैं ‘जगमग’ रहने का प्रयास करता हूं !
[10]
जरा सोचो
‘ लबों की हंसी ‘- ‘गम और बेबसी’ को खा जाएगी,
दिन आरंभ होते ही ‘मुस्कुराते’ रहना ही सदा ‘ उत्तम’ !