Home ज़रा सोचो “चिंता छोड़ो, स्नेह करो सबसे, बुद्धि,हंसी,धैर्य, समझदारी,दया का साथ मत छोडना’ |

“चिंता छोड़ो, स्नेह करो सबसे, बुद्धि,हंसी,धैर्य, समझदारी,दया का साथ मत छोडना’ |

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[1]

‘चिंता  करने  से  परेशानियां  बढ़ती  है,
‘सब्र  कर  लिया  तो  घटती  जाएंगी,
‘यदि  भगवान  का  शुक्रिया  अदा  करते  रहे,
‘एक  दिन  खुशी  के  द्वार  भी  खुल  जाएंगे’ !

[2]

‘पानी  में  तस्वीर  बनाओगे  तो  मिट  जाएगी,
‘दिल  में  बनाओगे  तो  बस  जाएगी,
‘हमसे  मिलना  मजबूरी  नहीं  जरूरत  समझोगे,
‘हर  समस्या  भी  हल  हो  जाएगी  |

[3]

‘बिना  स्नेह  कहीं  भी  कुछ  भी  विशेष  नहीं  घटता,
‘दिल  में  जगह  दो  अन्यथा, ‘अधूरे  ही  रह  जाओगे’ !

[4]

‘ अनेकों  खुश  नहीं  रहते  क्योंकि  दिल  में  प्यार  ही  नहीं  होता,
‘अकारण  जब  आपस  में  मिलने  लगोगे ,’ खुशियां  लौट  आएंगी” !

[5]

‘खाली  हाथ  जरूर  आया  था, ‘सब  की  दुआएं  लेकर  जाऊंगा,
‘ प्यार  का  सागर  समाया  है मुझमें,’बुराइयां  नहीं  रुकती  यहां’ !

[6]

‘शिकायतें  जरूर  करो  मगर  मुस्कुराना  मत  छोड़ना ,
‘उनका  हल  भी  निकलेगा  दिल  भी  जीत  जाओगे’ !

[7]

‘बुद्धि’  ‘सर्वोत्तम  संपत्ति’ ‘हंसी  उत्तम  दवा’ ‘धैर्य  सर्वोच्च  हथियार,
‘सब  प्रभु  का  निशुल्क  प्रसाद  है ,’फिर  भी  मानव  आनंदित  नहीं’!

[8]

‘पहले  किसी  को  समझ  तो  लो ,’फिर  पसंद  नापसंद  बताना ,
‘ना  समझी  मैं  अपनों  को  खो  दोगे  तो  बहुत  पछताओगे’ !

[9]

‘हर  जीव  पर  दया  बनाए  रखना  हमारा  सच्चा  धर्म  है ,
‘नासमझ  दया  के  पात्र  नहीं  होते, ‘सदा  बच कर  चलें ‘ !

[10]

‘सबसे  पहले  खुद  को  समझिए ,’ समयानुसार  बदलते  भी  जाइए ,
‘ परिस्थितियां  स्वयं  अनुकूल  होती  जाएगी,’ शान  से  जी  जाओगे’ !

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