Home कोट्स Motivational Quotes ‘चाहे जिसे ‘धोखा’ दे दो, वापसी मिलना ‘सुनिश्चि’ है | ‘व्यवहारी’ बनाने की कोशिश करो |

‘चाहे जिसे ‘धोखा’ दे दो, वापसी मिलना ‘सुनिश्चि’ है | ‘व्यवहारी’ बनाने की कोशिश करो |

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[1]

जरा सोचो
‘दम’  निकलने  पर  आओगे,  यह  कौन  सा  ‘उसूल’  है  यारब?
मेरी जिंदगी का ‘सवाल’ शायद, तुम्हारी ‘जुबां’ से फिसल गया !

[2]

जरा सोचो
किसी को ‘सम्मान’ देना, ‘व्यक्तित्व’ प्रदर्शित  करता  है,
‘प्रत्युत्तर’  में  ‘प्रचुर  सम्मान’  मिलते  देखा  है  हमने !

[3]

जरा सोचो
चाहे  जिसे  ‘धोखा’  दे  दो , वापसी  मिलना  ‘ सुनिश्चित ‘  है,
तुमने ‘उसे’  दिया, कोई  और ‘तुम्हें’  दे  देगा, ‘चिट्ठा’ बराबर  है !

[4]

जरा सोचो
फल  लगी  ‘टहनी  झुकी’  देख, ‘कुछ  मिलते  ही’ ‘नम्र’  होने  लगा  हूं  मैं,
‘उपलब्धियों’ पर  इतराता  नहीं, ‘सभी के काम’ आने  की  कोशिश  में  हूं !

[5]

जरा सोचो
शायद  ‘ तबाह ‘  होने  के  लिए  ‘ ईश्क ‘  किया  था  हमने,
उनकी ‘नजरअंदाजी’ खत्म नहीं होती, ‘हम’ पीछे नहीं हटते !

[6]

जरा सोचो
सत्ता, संपत्ति, और  समय, ‘परिवर्तनशील’  हैं, बिना  बताए ‘बदल’ जाते  हैं,
फिर  इनका  ‘ गुलाम ‘  किसलिए  बनना, सिर्फ  ‘प्रयत्नशील’  प्राणी  बनो |

[7]

जरा सोचो
‘रोना’ –  पैदा  होते  ही  ‘शुरु’  कर  दिया , ‘ हंसना ‘  कब  सीखोगे ?’
‘सांसो का हिसाब’ पक्का  है, हर पल  की ‘कीमत’ समझ  कर ‘जी’!

[8]

जरा सोचो
तेरे  अधरों  पर  मुस्कान  सजाने  की  ख्वाहिश  है,
तुझे  गम  की  बारिश  से  बचाने  की  ख्वाहिश  है,
ख्वाहिशें  दफन  न  हों  तेरी  ऐसी  भी  ख्वाहिश  है ,
साथ ना छूटे, कदमों से कदम मिलाने की ख्वाइश है !
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