Home ज़रा सोचो ” घर-घर की छोटी बातें जो विचारणीय हैं ” कुछ छंद ” |

” घर-घर की छोटी बातें जो विचारणीय हैं ” कुछ छंद ” |

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[1]

‘हम  अक्सर  खुन्नस  की  आग  में  झुलसे  पड़े  रहते  हैं ‘,
‘कभी तो  इंसानियत का दामन  पकड़ लेते ,इंसान  बन  जाते’|

[2]

‘पढ़  लिख  कर  नवाब  बन  जाओ’,
‘इससे  कुछ  नहीं  होगा ‘,
‘जब  अपनों  की  तकलीफ’ पढ़ते  ही  नहीं’,
‘वह  विद्या  किस  काम  की ‘?

[3]

‘माँ-बाप की उम्र कुछ भी हो , बच्चों का सहयोग जवान बनाए रखता है’,
‘ नजरंदाजी  और  फिक्र ‘  फितरती  हैं ‘ , ‘ बूढ़ा  बना   देती   हैं  उन्हें ‘|

[4]

‘सभी  कहते  हैं ‘आप  हमें  कभी  याद  नहीं  करते’,
‘फिर  हम  क्यों  करें’ कह कर ,’अपनों  को  खो  देते  हैं  सभी’|

[5]

‘उम्मीद  का  दामन  मत  फैलाओ’,
‘टूट  जाओगे  यारों ‘,
‘ज़िंदादिल  इंसान  बनो’ ,
‘किसी  के  काम  आते  रहो ‘|

[6]

‘तमन्नायेँ ‘  पिंघल  कर  आंसुओं  में  ढल  गईं ‘,
‘असहाय  जिन्दगी’ का  बस  इतना फसाना  है ‘|

[7]

‘सभी  कहते  हैं  ‘सत्कर्म  करते  रहो  तो’,
‘स्वर्ग  मिलेगा ‘,
‘मैं  कहता  हूँ  ‘माँ – बाप  की  सेवा  करो’,
‘स्वर्ग  यहीं  पर  है ‘|

[8]

‘जीभ  कतरनी  है  तो  किसी  का  गला  भी  काट  सकती  है’,
‘सुमरण में  लगते ही  लंपटबाजी करना  भूल  जाएगी  भाई ‘|

[9]

‘अनेकों  हैं  जिनको  माँ-बाप  के  होने  का  अहसास  ही  नहीं  होता’,
‘उनके  न  होने  पर  रोते  हैं , ‘ तभी अहसास  जागता  है  उनका ‘|

[10]

‘हम  इंसान  हैं , गल्तियाँ  सभी  करते  हैं’,
‘इल्ज़ाम  दूसरों  पर  डालने  में  माहिर  हैं’,
‘खुद  के  अंदर  झाँकने  से  कतराते  हैं  सभी’ ,
‘गलत  फहमी  से  शिकार  हैं , सुधरते  नहीं’|

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