Home जीवन शैली पशु प्रेमी गाय को माता क्यों कहते हैं ?

गाय को माता क्यों कहते हैं ?

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अमेरिका  के  कृषि  विभाग  द्वारा  एक  पुस्तक “ ( Cow  is  wonderful  laboratory )  अर्थात  गाय  एक  अद्भुत  प्रयोगशाला  है “, जारी  की  गयी  है   इस  पुस्तक  की  चर्चा  का  उद्धेथ्य  उन  विद्वानों  को   आईना  ढिखाने  का  प्रयास  है  जो  भारतीय  धर्म- ग्रन्थों , शास्त्रों  एवं  प्रचलित  मान्यताओं  का  विरोध करते  हैं  |

वैज्ञानिकों  के  अनुसार  दुग्ध धारी  पशुओं  में  केवल  गाय  ही  एक  ऐसा  पशु  है  जिसकी 180  फुट  लंबी  आंत  होती  है  जो  गाय  द्वारा  खाये  गए  भोजन  को  पचाने  में  सहायक  होती  है  | गाय  के  विषय  में  निम्न  अनुसंधान  पूर्णतः  स्पष्ट  है :-

1 गाय  की  रीड  की  हड्डी  के  भीतर  सूर्यकेतु  नामक  नाड़ी  होती  है  जिस  पर  सूर्य  की  किरणों  के  स्पर्श  से  स्वर्ण- तत्व  का  निर्माण  होता  है | गाय  के  100  किलो  दूध  में  एक  माशा  स्वर्ण  पाया  जाता  है |  इसी  कारण  गाय  का  दूध  व  घी  का  रंग  पीला  पाया  जाता  है | यह  पीलापन  कैरोटीन  तत्व  के  कारण  होता  है |  कैरोटीन  तत्व  की  कमी  से  शरीर  के  मुख , फेफड़े  तथा  मूत्राशया  में  कैंसर  होने  के  ज्यादा  अवसर  होते  हैं  |

2  गाय  का  दूध  गरम  करने  पर  पौष्टिक  तत्व  खत्म  नहीं  होते  |

3  सींगों  का  आकार  पिरामिड  की  तरह  होने  के  कारणों  पर  भी  शोध  किया  है | गाय  के  सींग  शक्तिशाली  एंटीना  की  तरह  काम   करते  हैं  और  इनकी  मदद  से   गाय  सभी   आकाश  की  ऊर्जाओं  को  संचित  कर  लेती  है  और   वही  ऊर्जा  हमें  गो-मूत्र  , दूध , और  गोबर  से  प्राप्त   होती  है |

4  गो-मूत्र  में  कार्बोलिक  ऐसिड  होती  है  जो  किटाणुनाशक  होती  है  तथा  शुद्धता  व  स्वच्छता  बढाता  है  | गो-मूत्र  में  नाईट्रोजन , फास्फेट  , यूरिक  ऐसिड , पोटेशियम  , सोडियम  तथा  लैक्टोज़  आदि  तत्व  पाये  जाते  हैं  जो  मनुष्य  के  शरीर  को  सदा   हष्ट –पुष्ट   बनाते  हैं  |

5  गाय  के  गोबर  तथा  मूत्र  को  मिलाने  से  प्रोपोलीन  आक्साइड  गॅस  बनती  है  जो   बरसात  लाने  में  सहायक  मानी  जाती  है  और  दूसरी  गैस  इथलीन  आक्साइड  भी  पैदा  होती  है  जो  ऑपरेशन  थियेटर  में  काम  आती  है   |

6  नेशनल  रिसर्च  इंस्टीट्यूट  करनाल ( हरयाणा )  ने  आलेख  किया  है  कि  गाय  के   घी  में  वैक्सीन  ऐसिड , ब्यटिक  ऐसिड , वीटा  के  कैरोटीन  जैसे  तत्व  पाये  जाते  हैं  जो  शरीर  में  पैदा  होने  वाले  कैंसरीय  तत्वों  से  लड़ने  कि  छमता  रखते  हैं  |

7  हमारे  शास्त्रों  के  अनुसार , गौ  रूपणी  देवी , लक्ष्मी  रूपी  , ब्रह्म  पुत्री  गोऔं  को   बार – बार  नमन  | गौ  के  अंगों  के  मध्य  ब्रह्मा  , ललाट  में  भगवान  शंकर , दोनों  कानों  में  अश्वनी  कुमार  , नेत्रों  में  चंद्रमा  और  सूर्य  तथा  कक्ष  में  साध्य  देवता ,  ग्रीवा  में  पार्वती ,  पीठ  पर  नछत्र  गण , कमुद  में  आकाश  , गोबर  में  अष्ट्यश्वर्य  सम्पन्न   तथा  स्तनों  में  जल  से  परिपूर्ण  चारों  समुद्र  निवास  करते  हैं  |

8  बाल्मीकी   रामायण  के  अनुसार  गाय  को  समर्धी  ,धन-धान्य  एवं  सृष्टि  कि  भोज्य  पदार्थों  की  प्रदाता  बताया  गया  है

—–जय  हमारा  भारत —-

साभार:– गोधन

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