[1]
‘सारे दुख कटेंगे’ तभी मन प्रसन्न होगा, ‘गलतफहमी’ में हो जनाब,
‘सब कुछ ‘प्रसन्न होकर ‘झेल’ गए तो, ‘ दुख’ स्वम दूर होते जाएंगे’ !
[2]
‘ अपने अस्तित्व ‘ को बचा कर , ‘ विश्वास ‘ जरूर करो,
‘सबकी सुनो, परंतु अपनी सही ‘आवाज’ को दबने न दो’ !
[3]
‘ कुटिल मन ‘ अनेको बुराइयों के बोझ तले , ‘ दबा ही मिलता है,
‘सुंदर सोच’ का मालिक ‘सबका चहेता बन, ‘दिलों’ पर राज करता है’ !
[5]
‘कोई ‘ तन्हाई ‘ से डरता है , तो कोई ‘महफिल की रौनक” से,
‘यारब ! जहां देखो, ‘ उदासी के सैलाबों’ का ‘तूफान ‘ भरा है ‘ !
[6]
‘खुश’ रहो पर ज्यादा ‘जाहिर” मत करो,
‘नजर लगा देगा कोई ,
‘दूसरों की खुशहाली’ देख़ लोग,
‘खुन्नस’ उतारने लग जाते हैं’
[7]
मेरी सोच
“जो लोग संसार में परोपकार में अपना जीवन अर्पण करते हैं निर्बल संतानों की सेवा , सहायता में अपना योगदान देते हैं !
ऐसे प्राणी का भजन ‘स्वयं भगवान’ करते हैं “!
[8]
‘ बिना कहे ‘ जो तुम्हारे ‘ दिल की बात ‘ सुनता हो,
‘उसे अपना ‘अजीज’ ही समझो, ‘खो मत देना कभी ‘ !
[9]
‘ मुझे ‘ समझ ‘ कर भी ‘ बेसमझ ‘ मान कर चलते रहे,
‘दिल’ खूब घायल होता रहा, ‘हम ‘समझदारी’ से जीते गए’ !
[10]
‘दुश्मन ‘ से सामना हो तब भी,
‘अदब’ बदस्तूर रहना चाहिए ,
‘यह ‘ अहसास’ जिंदा रहेगा, ‘हम ‘अदब’ से ही जीते रहे’ !