[1]
‘प्रकाश का वजूद अंधेरा होने पर अहसास होता है’,
‘सुरज की रोशनी में तो सभी घोड़े की तरह चलते हैं’ |
[2]
‘तुमसे लगन लगी है ‘दाता’ तुम्ही रिस्तेदार हो मेरे’,
‘दुनियाँ फानूस के ढेर पर विराजी है’ ‘कुछ भी नहीं अपना’ |
[3]
‘शिकवे शिकायतों से भरी पड़ी है’
‘ज़िंदगी सबकी ‘,
‘काश ! अपना नज़रिया बदल लेते’ ,
‘खुश हो कर जी लिए होते ‘|
[ 4]
‘खूबसूरती कुछ नहीं करती’ ,’मन का अहसास काम करता है ‘,
‘पवित्र स्थान पर जा कर मन का श्रंगार कर’,’सभी को अपना बना ‘|
[5]
‘बुरे ख्याल क्यों जहन में आते हैं हमारी समझ से बाहर है ‘,
‘नम्र रहते हैं ख्याल रखते हैं किसी का कुछ बुरा न हो कभी ‘,
‘लगता है हमारी सोच कमजोर है, मन की व्यवस्था स्थिर नहीं ,
‘हे प्रभु ! बुरे विचारों से पीछा छुड़ाने की कृपा कर दो हम पर ‘|
[6]
‘जिंदगी की जिद्दोजहद में कोई साथ नहीं देता ‘तसल्ली देते हैं ‘,
‘हंस के जियो चाहे रो कर ‘,अपनी लड़ाई खुद लडनी पड़ती है’|
[7]
‘समभाव में जीना इंसानियत का तगाजा है’,
‘जो अच्छे समय में उछलते है और बुरे में फिसलते हैं’
‘कोई दीन ईमान नहीं होता’ |
[8]
‘करोड़पति बन कर ‘जी’ चाहे गरीब बन कर’ ‘सभी की राख बनती है’,
‘सबकी खुशी का कारण क्यों नहीं बनता’ ‘जब अंत सब का समान है’ |
[9]
‘कोशिश नहीं करोगे और तकदीर को कोसते रहोगे तो’ ‘बंटाधार हो गया समझो’,
‘खुद को झँझोड़ो कुछ न कुछ करते रहो ‘ ‘ नसीब स्वतः बदलता जाएगा ‘ |
[10]
‘रिस्ते’कभी शर्तों ,वायदों प र निर्भर नहीं होते’,’समभाव के छींटों की जरूरत है’ ,
‘उन्हें समझने और निभाने की कवायद से ‘ ‘रूबरू होने की नितांत जरूरत है ‘|