[1]
पिता —-
“हमारे बीमार होने पर पिता पूरी भागदौड़ करता है” ,
“हर हाल में खर्चे पूरे करने में पूरी ताकत लगाता है” ,
” उस बाप को सभी नज़र अंदाज़ किए रखते हैं “,
“हल्की चोट लगते ही”,’हाय माँ’ ही “पुकारते हैं सभी” ,
“यह बिल्कुल सही है कि ‘राम'” कौशल्या के पुत्र थे” ,
” परंतु तड़प कर मरने वाला ” “पिता दशरथ’ ही था ” |
[2]
कम बोलने वाला व्यक्ति ही काबिल और गंभीर होता है ।
ज्यादा बोलने का मतलब अपनी उर्जा को खत्म करना है।
[3]
‘खुद को ‘तलाशने’ की कोशिश करता तो,
‘शायद ‘फरिश्ता’ बन गया होता,
‘सबमें ‘ऐब’ ढूंढता रहा, ‘गालियां’ खाता रहा,
‘निकम्मा’ बनकर रह गया’!
[4]
‘न जाने किस-किस के ‘रोने’ पाल रखे हैं,
‘मन की उदासी’ कभी ‘विदा’ नहीं होती,
‘सूसंगति’ से मन की ‘संडास’ निकल जाती,
‘गुलाब’ से दोस्ती करता तो ‘महक’ जाता !
[5]
‘कर्म का दीपक’ जला ,’निकम्मा’ रहकर क्या होगा ?
‘एडी’ रगड़ता मर जाएगा, ‘अभागा’ बनकर जिएगा’ !
[6]
‘बीमारी’ एक दिन में ठीक नहीं होती ‘ ‘धैर्य’ जरूरी है ,
‘कुसंस्कार’ हो या ‘कुविचार’, ‘निरंतर प्रयास’ की जरूरत है’ !
‘कुसंस्कार’ हो या ‘कुविचार’, ‘निरंतर प्रयास’ की जरूरत है’ !
[7]
‘हमारी पसंद’ हर पल बदलती है,
‘हरि रंग ‘ में रंगते ही नहीं,
‘भक्ति रंग’ जब अपना ‘रंग’ दिखाता है,
‘मानव’ खुद को भूल जाता है’ !
‘हरि रंग ‘ में रंगते ही नहीं,
‘भक्ति रंग’ जब अपना ‘रंग’ दिखाता है,
‘मानव’ खुद को भूल जाता है’ !