न किसी के अभाव मे जिओ ,न किसी के प्रभाव मे जाओ,
यह ज़िन्दगी है आपकी अपने स्वभाव मै जिओ ।
[2]
‘लोग अक्सर एक बार असफल हो जाने पर दोबारा प्रयास नहीं करते ‘,
‘अगर ऐसा किया होता या वैसा किया होता , को रागते रहते हैं /
‘सकारात्मक व्यक्ति अपनी पराजय के बहाने नहीं ढूंढते ‘,
‘मजबूत विचार व इरादों को सम्बल बनाकर, आगे बढ़ जाते है’ /
[3]
‘तुम’, ”हम’ रहें ना रहें’ ,’ यादें बदस्तूर रहेंगी यहाँ ‘,
‘क्यों न यादगार जिंदगी बनाकर ही बिदा हुआ जाए ‘|
[4]
‘यदि सबसे स्नेह की उम्मीद है’ ‘ तो स्वम स्नेह लुटाना शुरू कर दो’ ,
‘कांटे परोसोगे तो जंजाल में फंस जाओगे’,’खुश नहीं रह पाओगे भाई “|
[5]
मेरा विचार “-
” रिस्ते कभी प्राकर्तिक मौत नहीं मरते | उन्हें हम अपनी ‘ अहम ‘ ,
‘अव्यवहार ‘ और ‘ अज्ञानता ‘ से मार डालते हैं ” |
[6]
”दिल से रिस्ते निभा ‘,’ दुनियाँ को दिखा कर निभाया तो क्या किया ‘?
‘अपनापन अब कहीं मिलता नहीं ‘, ‘ इसके ढ़ोल पीटे जा रहे हैं अब ‘|
[7]
‘हमें तकलीफ में देख’ ‘ मुंह घूमा लिया जिसने ‘,
‘ऐसे प्यारे साथी से’ ‘,लाख दुश्मन बहुत अच्छे हैं ‘|
[8]
‘पिता ‘ से ‘संघर्ष करना सीखो ‘ तो ‘माँ’ से संस्कार ‘,
‘ बाकी दुनियांदारी तो दुनियाँ खुद ही सीखा देगी ‘|
[9]
‘न जाने क्या सोच कर लोग दिलों से खेल जाते हैं ‘,
‘किसी का दिल दुखाने का ख्याल भी बेचैन कर देता है हमें ‘|
[10]
‘समस्या हल करने की चाहत है तो ‘मुस्कराइए’,
‘समस्या’ से बचना है तो ,’शांत’ रहना ही उचित ‘|
[11]
‘दोस्ती जब महकती है , किसी इतर से कम नहीं होती ‘,
‘दोस्ती की पहचान हो जाए तो,जन्नत का मज़ा देती है ‘|