Home जीवन शैली ” खुद को टटोलिए , खुद को जानिए “

” खुद को टटोलिए , खुद को जानिए “

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[1]

न किसी के अभाव मे जिओ ,न किसी के प्रभाव मे जाओ,

यह   ज़िन्दगी   है  आपकी   अपने   स्वभाव   मै    जिओ ।

[2]

‘लोग अक्सर एक बार असफल हो जाने पर दोबारा प्रयास नहीं करते ‘,
‘अगर  ऐसा  किया  होता  या  वैसा  किया  होता , को  रागते  रहते  हैं /
‘सकारात्मक   व्यक्ति  अपनी  पराजय  के  बहाने  नहीं  ढूंढते ‘,
‘मजबूत विचार व इरादों को सम्बल बनाकर, आगे बढ़ जाते है’ /

[3]

‘तुम’, ”हम’ रहें ना रहें’ ,’ यादें  बदस्तूर  रहेंगी  यहाँ ‘,
‘क्यों न यादगार जिंदगी बनाकर ही बिदा हुआ जाए ‘|

[4]

‘यदि  सबसे  स्नेह  की  उम्मीद  है’ ‘ तो  स्वम  स्नेह  लुटाना  शुरू  कर  दो’ ,
‘कांटे  परोसोगे  तो जंजाल में  फंस  जाओगे’,’खुश  नहीं  रह  पाओगे  भाई “|

[5]

मेरा विचार “-
” रिस्ते   कभी   प्राकर्तिक   मौत   नहीं   मरते   |   उन्हें   हम   अपनी ‘ अहम ‘ ,

‘अव्यवहार ‘  और  ‘ अज्ञानता ‘  से   मार   डालते   हैं ” |

[6]

”दिल  से  रिस्ते  निभा ‘,’ दुनियाँ  को  दिखा  कर  निभाया  तो  क्या  किया ‘?
‘अपनापन  अब  कहीं   मिलता  नहीं  ‘, ‘ इसके  ढ़ोल  पीटे  जा  रहे  हैं  अब   ‘|

[7]

‘हमें  तकलीफ  में  देख’ ‘ मुंह  घूमा  लिया  जिसने ‘,
‘ऐसे  प्यारे साथी से’ ‘,लाख  दुश्मन  बहुत अच्छे  हैं ‘|

[8]

‘पिता ‘ से  ‘संघर्ष  करना  सीखो ‘ तो  ‘माँ’  से  संस्कार ‘,
‘ बाकी  दुनियांदारी  तो  दुनियाँ  खुद  ही  सीखा  देगी  ‘|

[9]

‘न  जाने  क्या  सोच  कर  लोग  दिलों  से  खेल  जाते   हैं ‘,
‘किसी का दिल दुखाने का ख्याल भी बेचैन कर देता है हमें ‘|

[10]

‘समस्या  हल  करने  की  चाहत  है  तो  ‘मुस्कराइए’,
‘समस्या’  से  बचना  है  तो ,’शांत’  रहना  ही  उचित ‘|

[11]

‘दोस्ती  जब  महकती  है  , किसी  इतर  से  कम  नहीं  होती  ‘,
‘दोस्ती  की  पहचान  हो जाए  तो,जन्नत  का  मज़ा  देती  है ‘|

 

 

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