Home कविताएं “खुद को जानिए मित्रों , फिर आनंद ही आनंद है ” !

“खुद को जानिए मित्रों , फिर आनंद ही आनंद है ” !

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[1]

‘तू  सच्चाई  का  साथी  बन’ ,’अच्छाई  को  गले  लगा ,’
‘यदि दोनों नदारत हैं तुझमें ‘,’तू जीने का हकदार नहीं ‘|

[2]

जो वक्त की कीमत नहीं समझता , सिर्फ  पछतावा  बचा रहता हैं केवल ‘,

‘क्यों  न  वक्त  के  साथ  बदलना  सीखें , हर  पल  का  आनंद  लेने  लंगे |

[3]

‘ मैं  अच्छा  हूँ  या  बुरा  , कुछ  भी मालूम  नहीं  है ‘ ,
‘हर व्यक्ति मुझसे बेहतर है ”यह आंकलन  है  मेरा ‘|

[4]

‘जिन रिस्तों का अंत नहीं होता ‘,
‘अनंत  काल  तक  चलते  हैं ,’
‘क्यों न ऐसे कर्म करते चलें’ ,
‘देर तक याद रखते रहे सारे ‘|

[5]

‘अगर तुम पत्थर दिल इंसान हो ‘,
‘हर  हाल  में  जी  जाओगे ,’
‘हम तो अहसासों के मारे हैं ‘,
‘कैसे  जीयें  , तू  ही   बता ,?

[6]

‘योगी ‘ बनने  को  किसने कहा’ ,
‘उपयोगी’ और ‘सहयोगी’ बनों ,
‘अपनी ‘सहयोगिता ‘ अर्जित करो ‘,
‘ प्रेम  से  जियो  सदा ‘|

[7]

‘ रिस्ते  खराब  कर  लिए  परंतु ‘ ,’ कभी  झुके  नहीं ,’
‘झुक कर ही सलाम होती है’ ,’सब कुछ खरीद लेती है ‘|

[8]

‘ सूरज निकल  गया ‘, ‘अंधेरा मिट गया , ‘तू  सोया  पड़ा  है ‘ ,
‘काश !तेरी आँख खुल जाती’,’तू जान जाता ,रोशनी क्या है ?

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