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“खाली लक्ष्मी की पूजा से – “न लक्ष्मी मिले न राम “

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 एक  बार लक्ष्मी  नारायण  भगवान  और  माँ  लक्ष्मी  मे  विवाद  छिड़   गया   कि   मुझे   पाने   लिए   संसार  में  भक्ति  बढ़ती   है  अथवा  आपको  पाने  के  लिए  |

लक्ष्मी   जी   बोली , “आप   को   पाने   के   लिए  नहीं !,  मुझे   पाने  के लिए  भक्ति  बढ़   गयी  है !
..तो भगवान बोले, “लोग “लक्ष्मी लक्ष्मी” ऐसा जाप थोड़े ही ना करते हैं !”
..
तो माता लक्ष्मी बोली
कि , “विश्वास ना हो तो परीक्षा हो जाए!”
..भगवान नारायण एक गाँव में ब्राह्मण का रूप लेकर गए…एक घर का दरवाजा खटखटाया…घर के यजमान ने दरवाजा खोल कर पूछा , “कहाँ के है ?”
तो …भगवान बोले, “हम तुम्हारे नगर में भगवान का कथा-कीर्तन करना चाहते है…”
..
यजमान बोला, “ठीक है महाराज, जब तक कथा होगी आप मेरे घर में रहना…”

गाँव के कुछ लोग इकट्ठा हो गये और सब तैयारी कर दी….पहले दिन कुछ लोग आये…अब भगवान स्वयं कथा कर रहे थे तो संगत बढ़ी ! दूसरे और तीसरे दिन और भी भीड़ हो गयी….भगवान खुश हो गए..की कितनी भक्ति है लोगो में….!
लक्ष्मी माता ने सोचा अब देखा जाये कि क्या चल रहा है।
..
लक्ष्मी माता ने बुढ्ढी माता का रूप लिया….और उस नगर में पहुंची…. एक महिला ताला बंद कर के कथा में जा रही थी कि माता उसके द्वार पर पहुंची ! बोली, “बेटी ज़रा पानी पिला दे!”
तो वो महिला बोली,”माताजी ,
साढ़े 3 बजे है…मेरे को प्रवचन में जाना है!”
..
लक्ष्मी माता बोली..”पिला दे बेटी थोडा पानी…बहुत प्यास लगी है..”
तो वो महिला लौटा भर के पानी लायी….माता ने पानी पिया और लौटा वापिस लौटाया तो सोने का हो गया था!!
..
यह देख कर महिला अचंभित हो गयी कि लौटा दिया था तो स्टील का और वापस लिया तो
सोने का ! कैसी चमत्कारिक माता जी हैं !..अब तो वो महिला हाथ-जोड़ कर कहने लगी कि, “माताजी आप को भूख भी लगी होगी ..खाना खा लीजिये..!” ये सोचा कि खाना खाएगी तो थाली, कटोरी, चम्मच, गिलास आदि भी सोने के हो जायेंगे।
माता लक्ष्मी बोली, “तुम जाओ बेटी, तुम्हारा प्रवचन का टाइम हो गया!”
..
वह महिला प्रवचन में आई तो सही …
लेकिन आस-पास की महिलाओं को सारी बात बतायी….
..
अब महिलायें यह बात सुनकर चालू सत्संग में से उठ कर चली गयी !!
अगले दिन से कथा में लोगों की संख्या कम हो गयी….तो भगवान ने पूछा कि, “लोगो की संख्या कैसे कम हो गयी ?”
….
किसी ने कहा, ‘एक चमत्कारिक माताजी आई हैं नगर में… जिस के घर दूध पीती हैं तो गिलास सोने का हो जाता है,…. थाली में रोटी सब्जी खाती हैं तो थाली सोने की हो जाती है !… उस के कारण लोग प्रवचन में नहीं आते..”
..
भगवान नारायण समझ गए कि लक्ष्मी जी का आगमन हो चुका है!
इतनी बात सुनते ही देखा कि जो यजमान सेठ जी थे, वो भी उठ खड़े हो गए….. खिसक गए!
..
पहुंचे माता लक्ष्मी जी के पास ! बोले, “ माता, मैं तो भगवान की कथा का आयोजन कर रहा था और आप ने मेरे घर को ही छोड़ दिया !”
माता लक्ष्मी बोली, “तुम्हारे घर तो मैं सब से पहले आनेवाली थी ! लेकिन तुमने अपने घर में जिस कथा कार को ठहराया है ना , वो चला जाए तभी तो मैं आऊं !”
सेठ जी बोले, “बस इतनी सी बात !…
अभी उनको धर्मशाला में कमरा दिलवा देता हूँ !”
..
जैसे ही महाराज (भगवान्) कथा कर के घर आये तो सेठ जी बोले, “

महाराज आप अपना बिस्तर बांधो ! आपकी व्यवस्था अबसे धर्मशाला में कर दी है !!”
महाराज बोले, “ अभी तो 2/3 दिन बचे है कथा के…..यहीं रहने दो”
सेठ बोले, “नहीं नहीं, जल्दी जाओ ! मैं कुछ नहीं सुनने वाला ! किसी और मेहमान को ठहराना है। ”
..
इतने में लक्ष्मी जी आई , कहा कि, “सेठ जी , आप थोड़ा बाहर जाओ… मैं इन से निबट लूँ!”
माता लक्ष्मी जी भगवान् से बोली, “

प्रभु , अब तो मान गए?”
भगवान  नारायण  बोले , “हां  लक्ष्मी   तुम्हारा  प्रभाव  तो  है ,  लेकिन  एक   बात  तुम   को  भी  मेरी   माननी  पड़ेगी  कि  तुम  तब  आई ,  जब  संत  के    रूप  में  मैं  यहाँ  आया!!
संत  जहां  कथा  करेंगे  वहाँ  लक्ष्मी  तुम्हारा  निवास  जरुर  होगा…!!”
यह  कह  कर  नारायण  भगवान्  ने  वहां  से  बैकुंठ  के  लिए  विदाई  ली।  अब प्रभु  के  जाने  के  बाद  अगले  दिन  सेठ  के  घर  सभी  गाँव  वालों  की  भीड़     हो   गयी ।  सभी  चाहते  थे  कि  यह  माता  सभी  के  घरों  में  बारी  2  आये ।  पर  यह  क्या  ?  लक्ष्मी  माता  ने  सेठ  और  बाकी  सभी  गाँव  वालों  को      कहा  कि,  अब  मैं  भी  जा  रही  हूँ ।  सभी  कहने  लगे  कि , माता,  ऐसा       क्यों ,  क्या  हमसे  कोई  भूल  हुई  है  ? माता  ने  कहा ,  मैं  वही  रहती  हूँ      जहाँ  नारायण  का  वास  होता  है । आपने  नारायण  को  तो  निकाल   दिया, फिर  मैं   कैसे  रह  सकती  हूँ  ?’  और  वे  चली  गयी ।
शिक्षा :  जो  लोग  केवल  माता  लक्ष्मी  को  पूजते  हैं ,  वे  भगवान्  नारायण    से  दूर  हो  जाते  हैं ।  अगर  हम  नारायण  की  पूजा  करें  तो  लक्ष्मी  तो   वैसे ही  पीछे  2  आ  जाएँगी , क्योंकि  वो  उनके  बिना  रह   ही  नही  सकती  ।
?जहाँ परमात्मा की याद है।
वहाँ लक्ष्मी का वास होता है।
केवल  लक्ष्मी  के  पीछे  भागने  वालों  को  न  माया  मिले   ना  ही  राम ।?
सम्पूर्ण  पढ़ने  के  लिए  धन्यबाद .
इसे सबके साथ बाँटकर आत्मसात् करें।
ज्ञान बांटने से बढ़ता है
और केवल अपने पास रखने से
खत्म हो जाता ह

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