जिस समय चन्द्रशेखर आज़ाद साईकिल ले कर चलता था उस समय
भीमराव अम्बेडकर भारत और इंग्लैण्ड
फ्लाइट से आते जाते थे,,
जब राम प्रसाद बिस्मिल जी भुने चने खा
कर क्रान्ति की ज्वाला में खुद जल रहे थे
तब भीमराव अंबेडकर ब्रिटेन के गवर्नर के
शाही भोज में शामिल होते थे,,
जब सारा भारत स्वदेशी के नाम पर
विदेशी कपड़ों की होली जला रहा था तब
भीमराव अम्बेडकर कोट पैंट और टाई पहन
कर चलते थे,
जब भगत सिंह एक वकील को मोहताज़ था
तब बैरिस्टर वकील भीमराव अंबेडकर अंग्रेज अफसरों के मुकदमे लड़ रहे थे .
..
और अंत में वही बन गया भारत भाग्य विधाता …... उसी को मिली भारत की नींव भरने की जिम्मेदारी ….
अंजाम सब देख रहे हैं,,
.
.
.
कड़वा है पर शत प्रतिशत सत्य है , शायद किसी को हजम ना हो…..