[1]
‘प्रशंसा के पुलों के नीचे ‘ खुदगर्जी ‘ का बहाव मिलता है ‘,
‘बिना प्रशंसा के कोई खुश नहीं होता’ ,’अजब इत्तिफ़ाक है ‘|
[2]
‘कोई ‘ख्वाबों’ का तो कोई ‘ख़्वाहिशों’ का कैदी है यहाँ ‘,
‘स्वतंत्र हो कर कोई नहीं जीता ‘ , ‘ गजब ‘ |
[3]
‘सांस चलती है तो ‘यहाँ’,
‘सांस रुक गयी तो ‘वहाँ’,
‘अरे मानव ! दोनों जहां का’ ,
‘इतना सा खेल है ‘|
[4]
‘बोझ सामान का हो या अभिमान का’ ,
‘डूबना निश्चित समझ’,
‘शक्तिनुसार कुछ भी उठा’,
‘मंजिल पाने में दिक्कत नहीं होगी ‘|
[5]
‘तुम कमजोर या हारे हुए हो’,
”गुस्सा आना स्वाभाविक है ‘,
‘जुझारू बन कर क्यों नहीं जीते’?
‘हर कोई तुम्हारी ओर निहारेगा ‘|
[6]
‘खाली न बैठ कुछ काम किया कर,’
‘मूल्यवान कथन है ‘,
उठो ! आपके प्रयास एक दिन ,
‘सार्थक होते नज़र आएंगे ‘|
[7]
‘अगर अच्छा सोच कर कुछ किया ,’और बुरा हो गया ‘,
‘घबराओ मत ! पुनः सार्थक प्रयास करने का प्रयास जारी रख ‘|
[8]
‘बाहरी आकर्षण’ और ‘सुंदरता’,
‘मन तो मोह सकते हैं ‘,
‘परंतु आपका ‘व्यवहार’ निश्चित ही’,
‘सभी के दिल जीत लेता है ‘|
[9]
‘अगर तुम व्यस्त रहे , मस्त रहे ,और स्वस्थ भी रहे ‘,
‘हर मुस्किल धराशायी हो जाएगी आपके आगे ‘|
[10]
‘न तुम बिन मैं , न मुझ बिन तू ‘,
‘दोनों अधूरे हैं ‘,
‘मैं और तू ‘ दो शब्दों की अपनी
‘कहानी है ‘|