[1]
‘ तुम खुद समस्या हो , ‘ खुद ही हल हो,
‘हलचल’ मची है मन में तो, ‘खुद को संभाल लो ‘ !
[2]
जो कभी ‘सुख’ में खोता नहीं, ‘दुख’ में घबराता नहीं,
‘सुख-दुख के अनुभव करने की कला सीख जाता है,
‘आशाएं और तृष्णाएं’ उन्हें परेशान नहीं करती कभी,
‘वह उतार -चढ़ाव का ‘असर’, ‘ग्रहण ‘ही नहीं करता ‘!
[3]
‘जो लोग ‘कोरोना ‘ से संक्रमित हो गए,’तुरंत ‘इलाज’ भी मिल गया,
‘जिनका ‘दिमाग’ संक्रमित है , ‘ गलत राह ‘ पर हैं , क्या करें उनका ?
‘जिनका ‘दिमाग’ संक्रमित है , ‘ गलत राह ‘ पर हैं , क्या करें उनका ?
[4]
‘जितने उत्तम ‘प्रयास’ होंगे , ‘ हमारा ” नसीब ‘ संवरता जाएगा,
‘रास्ते का कांटा” चुभेगा जरूर, फिर भी ‘मंजिल’ को पा जाएगा’ !
‘रास्ते का कांटा” चुभेगा जरूर, फिर भी ‘मंजिल’ को पा जाएगा’ !
[5]
‘लक्ष्य’ कितना भी कठिन हो,
‘ असंभव ‘ नहीं होता,
‘हिम्मत की ज्योति’ जलाये रख,
‘कारवां ‘ रुकने न दो’ !
‘ असंभव ‘ नहीं होता,
‘हिम्मत की ज्योति’ जलाये रख,
‘कारवां ‘ रुकने न दो’ !
[6]
‘जैसी ‘बेमतलब का सामान ‘ घर से बाहर करने में ‘ भलाई ‘ है,
‘मन से ‘बेमतलब की गलतफहमियों ‘ को तिलांजलि देते रहो’ !
‘मन से ‘बेमतलब की गलतफहमियों ‘ को तिलांजलि देते रहो’ !
[7]
‘आदमी- आदमी से मिलने में कतराने लगे’
‘कारोना’ पीछे न लग जाए ,
‘मुश्किलों’ का दौर है,प्यार ,मनुहार,
‘नजरों तक सिमट गया है अब’ !
‘कारोना’ पीछे न लग जाए ,
‘मुश्किलों’ का दौर है,प्यार ,मनुहार,
‘नजरों तक सिमट गया है अब’ !
[8]
‘हम जानते हैं ‘धोखा’ परोसेगा, फिर भी ‘हुस्न ‘ सजा लिया हमने,
‘न जाने किस मोड़ पर ‘हमारा प्यार’ ‘उनके जहन में उतर आए’ !
‘न जाने किस मोड़ पर ‘हमारा प्यार’ ‘उनके जहन में उतर आए’ !
[9]
इंतज़ार
‘हम ‘ आसमान के सितारे ‘ गिनते रह गए ,’ वह नहीं आए,
‘अब तो ‘जनाजा’ निकल गया, ‘फूल चुगने’ तो आ जाओ’ !
‘हम ‘ आसमान के सितारे ‘ गिनते रह गए ,’ वह नहीं आए,
‘अब तो ‘जनाजा’ निकल गया, ‘फूल चुगने’ तो आ जाओ’ !
[10]
‘माफ’ करते रहो ‘माफी’ मांगते भी रहो, बस ‘मिलते’ रहो,
‘जब मिलते रहेंगे, ‘मनमुटाव’ भी होगा,’माफी’ ही हल है सबका ‘ !
‘जब मिलते रहेंगे, ‘मनमुटाव’ भी होगा,’माफी’ ही हल है सबका ‘ !