[1]
“जब भी मुसीबत आती है “,”वो” ” मुझे बचा लेता है” ,
“उसको कभी देखा नहीं ‘,”मैं अदब से सिर झुकता हूँ ” |
[2]
‘सुख-दुख और यादों’ का पिटारा है जिंदगी,
‘संबंधों में गहराई नहीं तो ,’जिंदगी अधूरी समझ अपनी’।
[3]
‘जब ‘ विश्वास ‘ ही तोड़ दिया, माफी का सवाल ही खत्म,
‘अपने हिसाब से जीना ही वाजिब है,’ चकल्लस नहीं कोई’ ।
[4]
‘तकलीफें’ गले का हार हैं, एक कम होते ही दूसरी लटक जाती है,
‘मैं उनकी ‘कब्रगाह’ बन गया हूं ,’ या खुदा ! सहने की ताकत तो दे’ ।
[5]
‘मन ‘तृप्त’ है तो ‘थोड़ा भी’,
‘पूर्ण संतुष्टि’ प्रदान करता है,
‘अतृप्त मन’ के सामने कुछ भी पेश करो,
‘अतृप्त’ ही रह जाएगा’।
[6]
‘यदि ‘इच्छायें’ आपकी ‘योग्यता’ से ज्यादा हैं,
‘भिनभिनाते ही रहोगे,
‘यदि ‘योग्यता’ ‘इच्छाओं से ज्यादा है,
‘सफलता’ मान लो अपनी’।
‘भिनभिनाते ही रहोगे,
‘यदि ‘योग्यता’ ‘इच्छाओं से ज्यादा है,
‘सफलता’ मान लो अपनी’।
[7]
मेरी सोच
कई बार ‘हमारा हाथ पकड़ने की, ‘हमारी बात सुनने की’ ‘दिल की बात समझने की’ जरूरत होती है ।
कई बार ‘हमारा हाथ पकड़ने की, ‘हमारी बात सुनने की’ ‘दिल की बात समझने की’ जरूरत होती है ।
ना कि हर बात पर सलाहकार बनने की ।
[8]
‘हमारे देश में- जनता की पुकार -‘कटाक्ष’
‘ना सुरक्षा चाहिए’, ‘ना विकास चाहिए’, जो मुफ्त का खिला दे, वह यार चाहिए,
‘सबसे ‘अमीर’ जरूर है , ‘सबसे बड़े भिखारी भी हम हैं ‘, ‘ नियत ‘ खराब है,
‘जब हराम का मिलने लगे तो काम किसलिए करना ? और क्यों करना ?
‘देश ‘ दुबारा ‘ गुलाम ‘ बने या ‘कद्दावर’ ? भाड़ में जाए, हमें ‘मस्ती’ में रहने दो।
[9]
हमारा देश ।
‘भारत हमारी माता है, हम उसके लाडले बेटे,
‘इसकी अस्मत बचाने को सदा तैयार रहते हैं,
‘दुश्मन चाहे कितनी कोशिश करें हराने की ,
‘जां पर खेल कर हम, उनके खट्टे दांत कर देंगे।