‘मेरी ‘मैं’ ने मुझे मार रक्खा है ‘,
‘ऊपर उठने ही नहीं देतीं ‘,
‘ये ही मेरा सबसे बड़ा शत्रु है’ ,
‘बुद्धिहीन हो गया हूँ मैं ‘|
[2]
‘उड़ान भरने वाले एक दिन मंजिल पा ही लेते हैं ‘,
‘ जो भी घमण्ड में डूबा धड़ाम से नीचे गिरा ‘|
[3]
‘जो आपका ख्याल रखता हो ‘
‘तुम भी महत्व दो उनको ‘,
‘बाकी दुनियाँ का मेला है’ ,
‘आज शुरू कल पर खतम ‘|
[4]
‘बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते’, ‘और कोई टूटा पत्ता दुबारा पेड़ पर नहीं लगता’ ,
‘फिर कसमसाकर जिंदगी किसलिए जीना’ , ‘हौसले से विश्वास का पत्थर लगाए जा’|
[5]
‘हठधर्मी के सामने सही बात भी बोनी रह जाती है’ ,
‘शांत रह कर निकल जाना ही उत्तम विधा है उस समय “|
[6]
‘न तो खुद जलो और न किसी को जलाओ’
‘नकारात्मक सोच कहते हैं उसे’,
‘किसी को अपने स्नेह से सींचा है’ ‘सोचने समझने का मौका तो दो उसे’|
[7]
‘हम सोचते थे सब बाग बगीचे हमारे हैं’ ,
‘आँधी सब कुछ उड़ा कर ले गयी पल में’ ,
”झूठी पिपासा में जी रहे हैं सभी प्राणी ‘,,
”सत्कर्म साथ जाते हैं बाकी यहीं पर है ‘|
[8]
‘हर सुबह पूछती है आज किन शर्तों पर जीना है ‘,
‘ हर शाम , दिन भर का तजुर्बा भेट करता है हमें ‘|
[9]
‘जो जिस रूप में खुश हो उसी अंदाज़ में उनके साथ खुशी मनाओ ‘,
‘ चार दिन की चाँदनी है , मिलती खुशी को समेटते जाओ ‘|
[10]
‘जहां चाहत वहीं राहत’ जहां स्नेह वहाँ दिल’ हाजिर है जनाब ‘,
‘काठ का उल्लू कब तक बने रहोगे’,’मुस्कराहट से घर को सज़ा ‘|