Home कविताएं “कुछ सुविचार , कुछ सोच “

“कुछ सुविचार , कुछ सोच “

1 second read
0
0
865

[1]

‘शब्द  बाण  ऐसे  चलें’ ,
‘सब  अपने  हो  जाएँ ‘,
‘कर्कस  वाणी  दर्द  भरे’, 
‘सब  दूर  भागते  जाएँ ‘|

[2]

‘सीधे आदमी को हर कोई  रगड़ कर  चला जाता  है ‘,
‘टेढ़े  आदमी  से  बचते  हैं  कहीं  गले  न  पड  जाए ‘|

[3]

 

‘हमारी  आवाज़  ‘खुशी  और  गम’  का  अंदाज़  बता  देती  है ‘,
‘आँखें  भी  बयां  करती  हैं ,’खुश  हैं  या  गमगीन  फिजा  है ‘|

[4]

‘हँसता चेहरा  दिल की  फिजा को  बखूबी बयां कर  देता है ‘,
‘दर्द  को  पनाह  मत  देना , नोच-नोच  कर  मार  डालेगा ‘|

[5]

‘कोई  न  रूठे  ऐसे  प्रयास’, ‘जीवन  को  आनंदमय  बनाते  हैं ‘,
‘अपनों  का  साथ  न  छूटे ,’ऐसे  अथक  प्रयास  होने  चाहियेँ ‘|

[6]

‘कोई  अपना  परेशान  हो  तो  ‘सलाह’ और  ‘उसका साथ’  देना  मत  भूलना,’
‘सलाह’ मानना  जरूरी  नहीं  मगर  ‘साथ  निभाना’ गुल  खिलाएगा  जरूर’|

[7]

‘चाहे कोई ‘घाव’ हो या ‘लगाव’ हो’ ,
‘भुलाए नहीं जाते ‘,
‘जिंदगी कुछ ऐसे जीओ सदा’ ,
‘घाव’और ‘लगाव’ से बचते रहें ‘|

[8]

‘अगर रास्ता भटक गए हो तो ,नम्रता  से पूछ   लेना चाहिए ‘,
‘क्या  पता  वही  रास्ता  सही  मंजिल  तक ,पहुंचा  दे  तुझे ‘|

[9]

‘सादगी से जीओ ,नम्र बन कर चलो’ ,
‘उचित प्रेम को प्रदर्शित करो ‘,
‘गहरी नींद आएगी और ,
‘उचित समय पर सब कुछ मिलता जाएगा ‘|

[10]

‘जो इज्जत करता हो’ दिल से परवाह करता हो’,’खो मत देना उसे ‘,
‘प्रेम  के  धागे  बड़ी  मुस्किल  से  जुडते  हैं’ ,’संभाल  कर  रखना ‘|

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…