[1]
‘शिष्ट व्यक्ति समाज का आभूषण है’, ‘एक ज्योतिर्मय दीपक समान है’,
‘शिष्टता से जीवन में नम्रता ‘ जागृत होती है ‘ , ‘ नए मार्ग खुलते हैं |
[2]
‘आपस की बातचीत का सिलसिला खूबसूरत बना रहना चाहिए ‘,
‘देख लेना – आनंद ही आनंद दीखेगा चारों तरफ ‘|
[3]
‘खुद की गलती पर वकील बन कर सफाई पेश करते हैं सभी ‘,
‘दूसरों की गल्ती पर जज बन कर फैसला सुनाने को तैयार रहते हैं ‘|
[4]
‘अपनी समस्याओं की जड़ तुम हो और हल भी तुम्ही ‘,
‘इसके लिए विशेषज्ञों , सलाहकारों की जरूरत नहीं हैं ‘,
‘जो कुछ भी तुम हो यारों , वही सारा संसार है भाई ‘,
‘सुविचारों की योग्यता अर्जित करो , आगे बढ़ते चलो ‘|
[5]
मेरा विचार
” हमारा दिन प्रसन्नता से आरम्भ हो कर खूबसूरत यादों के साथ सम्पूर्ण हो
तो समझना चाहिए हम समुन्नत जीवन जी रहे हैं “|
[6]
‘दर्द नहीं होंगे तो सुख की अनुभूति कैसे हो पाएगी ?
‘हर घटना का स्वागत करो बस मुस्कराते रहो ‘ |
[7]
‘अगर तुम सदा मुस्कराते रहे तो’ ,
‘सारे जग का प्रकाश अपना समझ’,
‘सजदे में सिर झुकाना सीख गए तो’,
‘हर मुकाम भी तुम्हारा है ‘|
[8]
‘जहां हर इंसान के रोम रोम में प्यार बस जाए ‘,
‘घ्रणा और नफरत के भाव से सभी युक्त रहते हों ‘,
‘सभी एक – दूसरे पर कुर्बान रहने को तैयार हों ‘,
‘मेरे दाता ! ऐसे सुंदर समाज का स्रजन कर दो ‘|
[9]
‘रोज़ खुशहाल का हाल पूछ कर खुश हो गए ‘,
‘फटेहाल का भी हाल पूछ लेते तो क्या बिगड़ जाता ‘|
[10]
‘अपनी पसंद की खुशबू वाली धूपबत्ती तो ले आए ‘,
‘खुश तो भगवान को करना है ,’गजब सोच है इंसान की ‘|