Home कविताएं ‘ कुछ सामयिक विचार जो हम सबसे मिलते जुलते हैं ” !

‘ कुछ सामयिक विचार जो हम सबसे मिलते जुलते हैं ” !

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[1]

‘शिष्ट  व्यक्ति  समाज  का  आभूषण  है’, ‘एक  ज्योतिर्मय  दीपक  समान  है’,
‘शिष्टता  से  जीवन  में  नम्रता ‘ जागृत  होती  है ‘ , ‘ नए  मार्ग  खुलते  हैं |

[2]

‘आपस की बातचीत का सिलसिला खूबसूरत बना रहना चाहिए ‘,
‘देख  लेना  – आनंद  ही  आनंद  दीखेगा  चारों  तरफ ‘|

[3]

‘खुद  की  गलती  पर  वकील  बन  कर  सफाई  पेश  करते  हैं  सभी ‘,
‘दूसरों की गल्ती पर  जज बन कर  फैसला सुनाने को  तैयार रहते  हैं ‘|

[4]

‘अपनी  समस्याओं  की  जड़  तुम  हो  और  हल  भी  तुम्ही ‘,
‘इसके  लिए  विशेषज्ञों , सलाहकारों  की  जरूरत  नहीं  हैं ‘,
‘जो  कुछ  भी  तुम  हो  यारों , वही  सारा  संसार  है  भाई ‘,
‘सुविचारों  की  योग्यता  अर्जित  करो , आगे  बढ़ते  चलो ‘|

[5]

मेरा विचार 
” हमारा  दिन  प्रसन्नता  से  आरम्भ  हो  कर  खूबसूरत  यादों  के  साथ  सम्पूर्ण  हो
तो  समझना  चाहिए  हम  समुन्नत  जीवन  जी  रहे  हैं “|

[6]

‘दर्द नहीं होंगे तो सुख की अनुभूति कैसे हो पाएगी ? 
‘हर  घटना  का  स्वागत  करो  बस  मुस्कराते  रहो ‘ |

[7]

‘अगर  तुम  सदा  मुस्कराते  रहे  तो’ ,
‘सारे  जग  का  प्रकाश अपना समझ’, 
‘सजदे  में  सिर  झुकाना  सीख  गए  तो’,
‘हर  मुकाम  भी  तुम्हारा  है ‘|

[8]

‘जहां  हर  इंसान  के  रोम रोम  में  प्यार  बस  जाए ‘,
‘घ्रणा  और  नफरत  के  भाव  से  सभी  युक्त रहते  हों ‘,
‘सभी  एक – दूसरे  पर  कुर्बान  रहने  को  तैयार  हों ‘,
‘मेरे दाता ! ऐसे  सुंदर  समाज  का  स्रजन  कर  दो ‘|

[9]

‘रोज़  खुशहाल  का  हाल  पूछ  कर  खुश  हो  गए ‘,
‘फटेहाल का भी हाल पूछ लेते तो क्या बिगड़ जाता ‘|

[10]

‘अपनी  पसंद  की  खुशबू  वाली  धूपबत्ती  तो  ले  आए ‘,
‘खुश तो भगवान को करना है ,’गजब सोच है इंसान की ‘|

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