[1]
‘हम सत्य-असत्य दोनों देखते हैं’,’तीसरी विवेक की आंख बंद रखते हैं’,
‘तीसरी आँख खुलते ही प्रिय-अप्रिय का भेद मिटने में देर नहीं लगती’|
[2]
‘खुद को बुलंद रखने के लिए ,
‘अपनी खुदी को मिटाना शुरू कर दो ‘,
‘स्नेह में डूबने वाले ही संसार को ,
‘सदा सजाते , संवारते हैं ‘|
[3]
‘गलत दिशा में बढ़ती भीड़ का हिस्सा बनना मुनासिब नहीं ‘,
‘सही दिशा में अकेले भी चले तो मंज़िल को पा जाओगे ‘|
[4]
‘दहाड़ मार कर तुम किसी को अपनी तरफ नहीं झुका सकते ‘,
‘खामोश रह कर शिकार करना ,’शेरों का तजुर्बा है जनाब ‘|
[5]
‘सदा अच्छे ख्वाब देखते सोना’ ,’नई उम्मीद सहित उठना ‘, ‘ ‘करिश्माई चरित्र है ये ,’उज्जवल भविष्य का प्रारूप है ‘|
[6]
‘किसी को ‘आखिरी बात और आखिरी रात’ का कुछ नहीं पता ‘,
‘मिलते जुलते रहिए जनाब , ये आखिरी मुलाक़ात न हो कहीं ‘|
[7]
‘मैं हूँ ‘ क्योकि ‘हम हैं ‘ जनाब ‘,
‘एक भी हटा तो समझो सब कुछ खतम ‘
[8]
‘जब भी इच्छाएं जागेंगी’ ,
‘हमारा जीवन कष्टमय ही होगा ‘,
‘पापानुसार ही दण्ड भोगना है’ ,
‘ये ही प्रारब्ध है ‘|
[9]
‘हम जो चाहें वो ना हो ‘और ‘ जो न चाहें वही हो जाए ‘,
‘दुःख इसी का नाम है ‘,’चाहने – न चाहने को छोड़ दें ‘|
[10]
‘समय का सदुपयोग ‘और ‘शब्द नाप तोल कर’ बोलना अच्छा है ‘,
‘गुज़रा हुआ समय ‘व ‘मुंह से निकले शब्द ‘ दुबारा नहीं मिलते ‘|