[1]
” अपना सम्मान चाहो तो ” ” पहले दूसरे का सम्मान करना सीखो “,
“सुख – शांति का जीवन चाहिए” तो “नफरत का भाव त्याग दो फौरन” ,
“तुम असफल हो तो समझो” “तुमने दिल से सफलता का प्रयास नहीं किया” ,
” किसी की राह का रोड़ा मत बनो” , “खुद अपनी मंजिल तलाश करो” | |
[2]
” दर्पण की तरह स्पष्ट मन लेकर उठो “,” हंसमुख उठो ” ,
“मित्र हो या शत्रु”,”सबसे बेतकुलल्फी व प्रेम से मिलो” ,
“ऐसा ना ही रात भर में”-“मित्र दुश्मन व दुश्मन मित्र बन जाए” ,
“उन्मुक्त रहोगे तो” ” इस उठक-पठक को प्रेम से झेल जाओगे” |
[3]
“जो झुक कर चलना सीख गया जमाने में “,”मुकद्दर की सिकन्दर बनते देखा है” ,
“खुदा कसम ” ” ये हुनर बड़े काम का है” “चौसर बिछाने वालों को हारते भी देखा है “|
[4]
“जलने वाले जला करें “,” बस हमें तो मुस्कराने दो यारों” ,
“हमें मुस्कराता देख शायद”, “तुम भी मुस्कराना सीख लो ” |
[5]
“अपना हर काम ईमानदारी से करना ” “, इंसानियत है “,
“प्रत्येक कार्य में आनंद तलासना “,” सबसे बड़ी इबादत है ‘|
[6]
‘ मंजिल अगर दूर है घबरा मत “,” डगमगाया तो समझो गया “,
“अपनी उम्मीद का दीपक जलाए रख “,” प्रयास से पीछे न हट ” |
[7]
“चाहे किसी का बन,चाहे किसी को अपना बना”,” दोनों बराबर हैं” ,
“जिंदगी में नाइत्तिफ़ाकी नागवार गुजरती है “,” पछताते हैं सभी ” |
[8]
“उलझनें आती जरूर हैं” ” परंतु कुछ नुकसान नहीं करती कभी” ,
“भीतर छिपे पौरष को हवा देती है”,” हमारा सामार्थ बढ़ाती हैं “|
[9]
‘अपनापन तभी लगता है” ,”अलगाव की हल्की हवा कंपा डालती हो “,
“पंछी डाल से क्या उड़ा ‘,’ वह टहनी देर तक क्यों काँपती है , बता ” ?
[10]
‘ज़िंदा इंसान को ‘ सहारा देने में ‘ ‘ जान निकलती है’ ,
‘ मरे ‘ को ‘ कंधे का सहारा देना ‘, ‘ पुण्य समझते हो ‘ ,
‘ अजीब फितरत है इंसान की’,’पुण्य को पाप समझते हैं’ ,
‘शमशानी प्यार’ दिखा कर”औरंगजेब समझता है खुद को’ |