[1]
‘कौन हमारी भावनाओं से खेलता है’ और ‘ कौन प्रार्थना करता है ‘?
‘कौन आँखों में धूल झोंकता है’ ,’ किसकी आँखें नम हैं हमारे लिए ‘?
‘अंतरात्मा सही जबाब देती है’ ,’ एकांत में बैठ कर मनन करिए ‘,
‘पारदर्शिता में जब आकंठ डुबोगे’ ,’तुम सब कुछ समझ जाओगे ‘|
[2]
‘वक्त ही शब्दों का जाल बुनता है ,बक्त के सभी गुलाम हैं ‘,
‘ सही वक्त पर सही काम करते रहो ,भली करेंगे राम “|
[3]
‘अपनी तुलना किसी से मत करो’ , खुद को अतुलनीय प्राणी समझो ‘,
‘प्रभु कि हर रचना का सम्मान करो’ ,’हर कोई नई प्रतिभा का मालिक है ‘|
[4]
‘इबाबत’ और ‘दोस्ती’ में गोया ‘हमारी नीयत साफ होनी चाहिए’,
‘प्रभु ! ऐसी कृपा कर दो ‘,’ इस इंतिहान में मैं खरा उतरूँ ‘
[5]
|’खाली हाथ पैदा हुए’, ‘मरते समय एक तुम्हारा नाम था ‘,
‘कुछ अनोखा कर जाओ ‘तुम्हारा नाम ”एक इतिहास ‘ बन जाए ‘|
[6]
प्रभु !
” कहीं से रुपया मिलने वाला हो तो’ ‘साधन / भजन , सत्संग छोड़ देते हैं ‘,
‘ये तो फिर कर लेंगे’-दौलत को आने दो’,’गोया !प्रभु- रुपयों से घटिया हो गया ‘|
[7]
‘आस्तिक ‘ ‘ सदा ईश्वर को चाहता है ‘ ‘ ईश्वर से नहीं’ ,
‘अगर कामना हेतु चाहें उसे ‘ वो सेवक हो नहीं सकता ,
उसे यदि प्राप्ति का साधन बनाया ‘ तो उससे संबंध खतम’,
‘ तुम वस्तु के भक्त माने जाओगे ” कभी ईश्वर के नहीं |
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‘दिल से बड़ा कब्रिस्तान”आज तक देखा नहीं गया ‘,
‘दोनों बातें पाक दामन हैं ‘ ‘ कभी तुझे झुकने नहीं देंगे ‘|