Home कविताएं “कुछ समझने का प्रयास हितकारी होता है “|

“कुछ समझने का प्रयास हितकारी होता है “|

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“पानी  का  निर्मल  स्वभाव  है ” ,”अविरल  बहता  है ” ,
” आग  पर  गरम”  तो  ” बर्फ   के  आगोश  मे   ठंडा  ” ,
“सामान्यतया अपने स्वभाव से विचलित नहीं होता” ,
“हम विपरीत परिस्थितियों से हटें”‘समभाव में जिये’ |

[2]

“यदि आप  हर  बात  को  टाल-मटोल  करने  में  माहिर  हैं” ,
“तो  खुद  अपने  पैरों  पर  कुल्हाड़ी  मारने  वाले  मूरख  हैं” ,
“कल का काम आज’ और ‘आज का काम”अभी कर  डालो’ ,
“कल किसने देखा है””बस आज को स्वर्णिम बनाता चल” |

[3]

“किसी  वस्तु  में  सुख  कहाँ  है’ ,’ जिसे आप अनुभव करते हो’ ,
‘इस  भ्रांति  से  बचो ‘,’ विचारों  की गहराई  में उतर  कर  देखो ‘,
‘ आनंद  और  शांति   सदा  ‘ ‘ अपने  अंदर   ही  प्राप्त  होती  है ‘ ,
‘जितना अपनी गहराई मे उतरोगे’,’वास्तविकता जान जाओगे” |

[4]

‘जैसे  मकान  में  कूड़ा  कचरा  और  गंदगी  भरी  हो’ ,
‘हम , गंदगी  साफ  करने  का पुरुषार्थ ही नहीं करते’ ,
‘ऐसे  ही  हम- मद, मोह , काम,क्रोध से  भरे रहते  हैं’ ,
‘इस  आचरण  से  बचने  का  प्रयास  ही  नहीं  करते ‘,
‘अपने  शरीर रूपी  मकान में ,ज्ञान की ज्योति जला’ ,
‘सत्कर्म और उपासना करता चल” इन दोषों से बच’ |

[5]

“व्यवहार” :-
“अपने विचार’ ‘पेश  करने  में  देर न करें’ ,’ न  ही हिचकिचाएँ ‘,
‘आपके चेहरे  व  आँखों  में ‘,’ आत्म- विश्वास झलकना चाहिए “,
“मुद्दे  की  बात’ ‘नपे-तुले अंदाज़ में’ ‘पेश करने की कला सीखो ‘,
‘बातचीत में शालीनता रहे’,’कर्कश स्वर में बोलने से सदा बचें’ |

[6]

“कुछ लोग  बार बार  असफल  होने पर  भी कभी  टूटते  नहीं “,
“ऐसे  लोग  अक्सर  खुद  को  दिलासा  देने में  माहिर होते  हैं “,
“सावधानी हटी दुर्घटना घटी “, “यानि धैर्य चूका जिंदगी गयी” ,
“कुछ भी करो’ ‘धैर्य मत छोड़ो” , “बस  सब्र के बीज  बोते  रहो “|

[7]

“जहां अपनापन’ , ‘प्यार’,’ हंसी’, ‘खुशी’ , ‘आपस में दुःख बांटने की भावना हो ‘,
‘जहां क़हक़हों की कमी न हो ‘,’ वही आदर्श घर है’ ,’ जो देखने  में नहीं मिलता’ ,
‘घर में प्रसन्नता छाई रहे’ , ‘मन-मस्तिष्क स्वस्थ हों’ , ‘कुछ  विकसित  करो ‘,
‘घर’ ‘ घुटन-भरी जिंदगी से आज़ाद रहे ”खुशहाली रहे’ ‘ ऐसे फार्मूले अपनाओ ” |

[8]

“हर घर में आमदनी के अनुसार उसका खर्च बजट निर्धारित करो” ,
“आमदनी बढ़े या ना बढ़े ‘ ,’ खर्चों  में कटौती तो कर ही सकते  हो” ,
‘ आमदनी अठन्नी खर्च रुपया ‘ की ‘ स्थिती पैदा  मत  करो  कभी ‘ ,
‘बिन सोचे जो खर्च करे ‘ ,’ फिर  पीछे  पछताए ‘ ,’ गरक  में  जाय ‘ |

 

 

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