[1]
‘तू अपनी ‘मैं’ में नज़र आता है’ ,
‘इसीलिए ‘सही’ नहीं मिलता तुझे’,
‘जिसदिन तू अपनी ‘मैं’ को खतम कर देगा’ ‘खुदा नज़र आ जाएगा ‘|
[2]
‘सफलता के सफर में अनुशासन, मेहनत, बुद्धि ,भाग्य ,सभी साथ देते हैं ‘,
‘इस कार्य को करने वाले इंसान को’ ‘आत्मविश्वास के पहियों की जरूरत है ‘|
[3]
‘बार – बार आंसूँ बहाएगा तो अपने भी पराए हो जाएंगे ‘,
‘हर सही बात पर मुस्कराएगा तो ,’पराए भी अपने हो जाएंगे “|
[4]
किसान – पसीने की तरावट से धरती को नरम बनाए रखता है |
पुरुषार्थ – सदा कुछ करते रहने का सामर्थ बनाए रखता है |
वृक्ष — निःस्वार्थ सहनशीलता व परोपकार को मन में जगाता है |
सूर्य — अंधकार से संघर्ष व कांतिमान बने रहना सिखाता है |
म्रत्यु — घटने जीवनकाल की चेतावनी है ,जो भी करना है ,करते चलो |
प्रभु — सुद्रढ साहस से हर संकट से पार होने का रास्ता दिखाता है |
[5]
‘जब चाहे मिलने चले गए’ ,
‘हर घड़ी मौसम ‘ईद’ का नहीं होता ,’
‘बिला वजह , बेमौसम मिलना’ ,
‘किसी दिन भारी पड जाएगा तुझको ‘|
[6]
‘आंसूँ छुपा कर मुस्कराने की कला हर किसी को नहीं आती’ ,
‘तुम जीने के हुनर के पारखी हो’ ‘मस्त हो कर जी जाओगे’ |
[7]
‘तेरी जुदाई ने बड़ी हिम्मत
बढ़ा दी है मेरी ‘,
‘न पाने की चाह न खोने का डर’ ,
‘शांति चारों तरफ ‘|
[8]
‘नज़र क्या मिली तुमसे ‘,
‘हम तो तुम्हारे होकर ही रह गए ‘,
‘हम तुम्हारे लिए ही बने हैं “,
‘नज़र आने लगे सबको ‘|
[9]
‘न जून में गर्मी ,’न ऊन में गर्मी , न प्रेम में गर्मी’ ,
‘न खून में गर्मी , ‘ सिर्फ है सरकारी नोटों में गर्मी’ ,
‘किसी दिन इन नोटों की गर्मी में तू झुलस जाएगा’ ,
‘न घर का रहेगा न घाट का प्यारे’,’ उलझ जाएगा ‘|
[10]
‘सारे मंत्र-तंत्र , सारे जाप-ताप ,’ धरे रह जाएंगे तेरे’ ,
‘जब तक दिल में पाप , मन में खोट पैर पसारे है’ ,
‘पवित्रता की कसौटी पर चन्दन की तरह रगड़ मन को’ ,
‘जिस किसी माथे को चूमेगा’, दीवाना हो जाएगा तेरा ‘|