Home कविताएं “कुछ ये भी जीवन के पहलू हैं ‘ कुछ छंद !

“कुछ ये भी जीवन के पहलू हैं ‘ कुछ छंद !

3 second read
0
0
946

[1]

“रुपया”  एक  छोटा  सिक्का  है ,”स्वास्थ”  बड़ा  सिक्का’ ,
“प्यार” भाग्य  का  सिक्का,”मित्रता”मिठास का सिक्का ‘,
“रिस्ता” सोने  का  सिक्का है ,,’जरा  संभाल  कर रक्खो ‘,
“जिंदगी” को इन सिक्कों से सजाओ’,’आनंद लो इनका’ |

[2]

‘बहुमुखे  चेहरों  से  सख्त  नफरत  है  हमें’ ,
‘वे  मौका  मिलते  ही  नई  चाल  चलते  हैं ‘,
‘प्रभु  बख्स  दो  फिरंगी  चालों  से  हमको’ ,
‘कहीं  कुआं, कहीं  खाई , कहाँ  जाएँ  बता ‘ ?

[3]

‘जो  दूसरों  को  देख  कर  जलता  है’ ,
‘जल्दी  ही  बुझ  जाता  है’ ,
‘महकना  शुरू  कर  दो’ ,
‘सभी  देर  तक  याद  रक्खेगें  तुझे ‘|

[4]

‘संबंध  मधुर  रक्खे  तो  जीवन  का 
अधूरापन  मिट  जाएगा’ ,
‘कर्कस  बनकर  जिया  नहीं  जाता’ ,
‘प्रेम  को  प्रगाढ़  करता  चल ‘|

[5]

‘मुस्कराते  हुए  दुआओं  का  पिटारा 
खोल  कर  लुटाता  चल ‘,
‘आज  की  बाज़ी  तुम्हारे  हाथ  है’ ,
‘कल  हाथ  में  आता  नहीं ‘|

[6]

‘दूसरों  की  अधिक  चिंता’ ,
‘खुद  के  विकास  में  बाधक  है ,’
‘हर  रिस्ता  दिल  से  निभाओ’ ,
‘इतना  ही  समायोचित  है ‘|

[7]

‘रिस्ता  दिल  से  निभाओ , अपनाओ’,
‘सबके  दिल  मे  जगह  बनाए  रक्खो’, 
‘यदि  रिस्ता  निभा कर  सबको  जताते  रहे’
‘करे – कराये  पर  पानी  फिर  गया  जानो ‘|

[8]

‘मुस्कराने  में  खर्चा  कुछ  नहीं’, ‘दुनियाँ  खरीदने  की  ताकत  समायी  है’ ,
‘चलो  मुस्कराना  शुरू  करके   इस   हुनर   की   ताबीर   को  भी   देख  लें ‘|

[9]

‘प्यार  का  अहसास  कराने  का  अंदाज़’ ,
तेरा  नज़रअंदाज़  नहीं  होता’ ,
‘यादों  के  साये  में  खामोश  रहते  हो’ ,
‘बात  करने  की  ख्वाहिश  नहीं  होती ‘|

[10]

‘यश-अपयश ,हानि- लाभ , जीवन-मरण ,जीवन  के  चक्र  हैं’, 
‘जन्म लिया है तो रूबरू होना पड़ेगा’ ,’इसी का नाम जीवन है ‘|

 

 

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…