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‘ कुछ मेरी तो कुछ तुम्हारी ” जरा सोचिए !

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[1]’

बिना उम्मीद के ‘सम्मान’ और ‘इज्जत’ बांटते चलो ‘,
‘ तुम   समाज  में  उभर  जाओगे  , संभल  जाओगे  ‘|

[2]

‘ बुरे  वक्त  में  सभी  साथ  छोड़  गए  ‘ बहुत  शुक्रिया  उनका  ‘,

‘हर काम खुद करने लगा , मुसीबत से निबटने का सलीका आ गया ‘|

[3]

मेरा विचार ;
” यदि   आप   अपनी   जीवन   यात्रा   आराम   से   करना   चाहते   हो

तो   अपेक्षाओं   के   पिटारे   को   कम   करते   जाइए   ” |

[4]

मेरा विचार,
”  आधा  खाओ , दुगना  घूमो , तीन  बार  ज़ोर-ज़ोर  से  हंसों

और  सभी  से  असीमित  स्नेह  दिखाओ  |  ये  जीवन   की 

लंबी   यात्रा   मेँ   मील   के   पत्थर   हैं  “|

[5] 

मेरी  तमन्ना ,
‘मैं   किसी   ‘ पद ‘ ‘ प्रतिष्ठा ‘  का  मोहताज  नहीं  हूँ ‘
‘मुझे  अपने  स्नेह  और  विश्वास  से  भरपूर  रक्खो’ ,
‘आखिरी  मचान  पर  बैठा  हूँ’,’इच्छा  रहित  हूँ अब’ ,
‘देशहित  में  कुछ  कर  जाऊँ,बस  इतनी  तमन्ना  है’ |

[6]

‘कौन  अपना  है  जानने  हेतु  दिल  की  गहराई  में  उतरना  होगा ‘,
‘अंदर /बाहर  सभी  बहरूपिये  हैं  , दगाबाजी  से  बाज़  नहीं  आते ‘|

[7]

‘ लोगों  का  काम  है  कहना ,अच्छा/बुरा सब  कुछ  बोल  देते  हैं ‘,
‘ हम   तो   अच्छे  /   सच्चे   बनें   ,  किसने   रोका   है   जनाब ‘ ?

[ 8]

 ‘हर  कोई  आसमान  तक  सफर  करने  की  तमन्ना  में  जीता   है ‘,
‘चौसर  का हर  पासा  फैक देता  है ,चाहे इंसान  से शैतान बन जाए ‘|

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