[1]
‘जो खोकर भी मुस्कुराता है ,
‘उसका इस्तकबाल होना चाहिए,
‘आजमाइश का जमाना है,
‘हर मोड़ पर चलना जरूरी है’ !
[2]
‘जहां भावनाएं आपस में मिल जाएं,’वही हरिद्वार बना लो,
‘कुंठित मन तो , हरिद्वार को भी नरक द्वार बना देगा’ !
[3]
‘कौन कहता है सिर्फ ‘इत्र और फूल’ ही खुशबू फैलाते हैं’,
‘इंसान की शख्सियत’ की खुशबू भी,’चारों तरफ फैलती है’ !
[4]
‘स्वार्थी बनना शोभा नहीं देता,’सिर्फ सारथी बनो,
‘मार्गदर्शन करके उत्साहित करना, ‘सर्वोत्तम कर्म है’ !
[5]
‘सबको मेरी जरूरत है ‘ ‘ यह बहम पालना हानिकारक है,
‘मुझे किसी की जरूरत नहीं’ ‘यह कहना अहम की पराकाष्ठा’ !
[6]
‘प्रभु खिलता है फूलों में, कलियों में, कांटों में, झाडो में,
बरसता है नदियों में, नालों में, मरुस्थल में, समस्थलो में,
झांकता है पशुओं में , पौधों में, देवों में , दैत्यों में ,
महसूस होता है पूजा में, उपासना में, आरती में ,ध्यान में, !
[7]
‘अपने आदर्श’ सोच समझकर चुनो, समझदार को भी सुनना पड़ता है,
‘मन की शक्ति गंदी मत करो , , ना लड़ो , योग्यता साबित करो’ !
[8]
‘गांठ बांध लो, जब अच्छा काम करोगे तो तारीफ ही मिलेगी ,
‘सत्कर्म का सिद्धांत जीवन बदल देगा,’अलबत्ता देर सवेर हो जाए’ !
[9]
‘सफलता’ गुलाब की सुगंध सरीखी है,
‘अहं मत करना ,’नाराज हो कर चली जाएगी’ !
[10]
‘मुश्किलों से खूब भिडो ,:’ एक दिन घट जाएंगी,
‘कड़ी धूप से यारों कभी, ‘समंदर सूखा नहीं करते’ !