[1]
‘हम बैर, ईर्ष्या, और नफरत करना, बखूबी सीख जाते हैं,
‘प्यार के बिना जीवन, जीवन नहीं होता, यह भी हकीकत है’ !
[2]
‘अपनी आत्मशक्ति प्रज्वलित बनाए रखने की कोशिश तो कर,
‘समुद्र की गहराई और हिमालय की ऊंचाई भी, छोटी पड़ जाएगी’ !
[3]
‘हम ‘हिंसा और दरिंदगी’ करके ‘इंसानियत को कलंकित कर रहे हैं,
‘दया , प्रेम , सहनशीलता और करुणा के पाठ , ‘ पढ़ने भूल गए हैं’ !
[4]
‘कदम उधर उठाएं जहां ‘जीवन सुंदर से अति सुंदर’ होता चला जाए,
‘जहां ‘मिठास ही मिठास’ हो, जहां ‘महक ही महक’ हो, कोलाहल हो’ !
[5]
‘गलती करके भी दोहराते रहें, नहीं संभले, तो हार जाओगे,
‘ संभल गए तो जीवन का, ‘कायाकल्प हो गया समझो’ !
[6]
‘नश्वर संसार का मोह,
‘मनुष्य को दुनिया से बांधे रखता है,
‘पर प्रभु का प्रेम उसे,
‘संसार से मुक्त होकर ही मिलता है’ !
[7]
‘ नारी ‘
‘नारी परतंत्र नहीं स्वतंत्र है, कमजोर नहीं शक्तिशाली है,
‘अशिक्षित नहीं शिक्षित है ,असहाय नहीं सहायक है , कर्मठ है,
‘सौहार्द , प्रेम व सद्भावना की परिचायक है , कर्तव्य परायण है,
‘कर्तव्य व अधिकारों के प्रति ‘सजग’ और अपनी सुरक्षा में ‘सक्षम’ है’ !
[8]
‘नारी’
‘समाज में शिक्षा, संस्कृति, गायन, राजनीति , उद्योग , बैंकिंग ,खेल,
‘फिल्म,विज्ञान, प्रौद्योगिकी ,सेना ,पुलिस में वर्चस्व कायम रखती है,
‘अध्यापन , आलेखन ,कविता , साहित्य ,भाषा में योग्यता दिखाई है,
‘पुरुषों के बराबर नहीं तो कम भी नहीं, शोषण के जमाने अब लद गए, !