[1]
‘शांत रहकर निमटते से रहना, ‘इश्क’ की पहचान है,
‘कौन कहता है इश्क में, ‘भयंकर तूफान’ नहीं आते !
[2]
‘पानी’ कितना नरम है, ‘बहाव में ‘चट्टानों को चकनाचूर’ कर देता है,
किसी को सामान्य समझ ‘तिरस्कारना’, ‘अविवेकपूर्ण कदम ‘ ही है !
[3]
‘हमें ‘ गुमान ‘ न हो पाए, ‘अभिमान ‘ में अपनी हर बात प्यारी लगती है,
‘इसीलिए शरीर की तुलना ‘मिट्टी के पुतले’ और ‘लकड़ी के खिलौने’ से करते हैं’ !
[4]
‘हमें सामने वाला ‘दागनुमा’ दिखता है तब,’थोथी और कटु’ बात उभरती है,
‘भाषा ‘ जिससे ‘सम्मान’ उपजे , ‘प्रेममय’ हो, ‘ लचीली’ हो, ‘ उपयोग करो ‘ !
[5]
‘ना हम पराए हैं, ना अजनबी, ‘आपके साए में पलते हैं,
‘ नजर मत चुरा लेना ‘प्रभु ‘, ‘ बिसार मत देना कभी’ !
[6]
‘न शर्त रखो, ना कोई वादा करो, ‘स्नेह की ज्योति’ को जलने दो,
‘एक दूसरे को समझते रहो, ‘रिश्तो’ को समर्पण भाव से जिओ’ !
[7]
‘अगर ‘ भीड़ ‘ गलत दिशा में बढे , ‘ तो उसका हिस्सा मत बनो,
‘सूरज’ सही दिशा में चलता है, ‘दुनिया को ‘रोशन’ किए रखता है’ !
[8]
‘जब से तुम मेरी जिंदगी में पधारे हो,
‘जन्नत का मज़ा’ महसूस होता है,
‘खुशबूऔं के गुब्बारे’ मेरी झोली में गिरते हैं,
‘चहकने लगी हूं मैं’ !
[9]
‘दूसरों की गलती’ निकाल कर, ‘सुधारने के तरीके’ सुझाए जाते हो,
‘खुद’ कितने बेढंगे हो ,’दूसरों की निगाह’ परख लेते तो अच्छा था’ !
[10]
‘मंजिलें’ हासिल न कर पाना, ‘ कमजोर प्रयास ‘ का परिणाम है,
‘पुनः प्रयास’ होते रहने चाहिए, ‘घबराते’ रहे तो कुछ भी नहीं होगा’ !