Home Uncategorized “कुछ ‘तार्किक बातें’ जो हमारे-तुम्हारे बीच की हैं -जरा ध्यान दीजिये “|

“कुछ ‘तार्किक बातें’ जो हमारे-तुम्हारे बीच की हैं -जरा ध्यान दीजिये “|

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[1]

‘अवांछित  अडियलपन’ शोभा नहीं  देता,
‘तार्किक  भी  नहीं,
मौन, गंभीर  और  मितभाषी’ को ही,
‘विद्वान’  कहते  हैं’ !

[2]

‘दूसरे  को  समझ  पाना’ और ‘खुद  का’ दूसरे  हो  एहसास  कराना,
‘हमारी  दोनों  अभिव्यक्ति’ ‘समाज  की  स्वीकार्यता’ पर निर्भर  है’ !

[3]

‘खुद  की  बुराई  सुनने  का, और ‘दूसरे  की  तारीफ  करने  का,
‘अवसर  कभी  मत  चूको, ‘कुछ  न  कुछ  सिखा  कर  जाएगा’ !

[4]

‘स्वयं’  की  ज्यादा  प्रशंसा ‘अहं’ और ‘अधिक  सम्मान’- ‘प्रगति’ को  अवरुद्ध  करता  है,
‘इसीलिए  कहते  हैं, ‘ किसी  चीज  की ‘अधिकता’ कभी  भी ‘उचित  नहीं’  होती’ !

[5]

‘ संसार  के ‘मिथ्या  व्यवहार’  के  प्रति ‘जोरदार  क्रांति’ भडकनी  चाहिए,
‘सुव्यवहार  की  पहरेदारी  करो, ‘रास्ता  कठिन  जरूर  है, पर  फल  स्वादिष्ट  है’ !

[6]

‘पता  नहीं  क्या  होगा ?
‘यह  सोच  आगे  बढ़ने  ही  नहीं  देती,
‘मंजिल  पर  बढ़ते  रहे  तो,
‘रास्ते  और  तजुर्बा’ दोनों  मिलते  जाएंगे’ !

[7]

‘छोटी  सी  बात  पर  ‘दिल  तोड़ना, रूठ  जाना, शोभा  नहीं  देता,
‘जरा  ‘देश  से  गद्दारी’  कर, ‘फिर  देख  कैसे  मरोड़  देते  हैं  तुझे’ ?

[8]

‘तुम  हमें  समझ  नहीं  सके,
‘तभी  ‘अच्छा- बुरा’ सब  कह  जाते  हो,
‘जिस  दिन  तुम  समझ  लोगे,
‘दिलो  जान  से ‘फिदा’  हो  जाओगे  हम  पर’ !

[9]

‘दिमाग’ तो  समयानुसार  कदम  उठाने  को  मजबूर  होता  है,
‘ जो  दिल  कहे  करते  चलो ,  ‘ संदर्भ ‘ उत्तम  होना  चाहिए, !

[10]

‘ जहां  ‘आंसू  गिरने  का  दर्द’ समझते  हो,
‘वही  टपकने  चाहिए,
‘जहां  बेदर्द  साथी  हों,
‘चुपके  से  निकल  जाना  भला’ !

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