[1]
‘हम जो कुछ भी कहते/सुनते हैं’ ,
‘सब पूरी तरह समझते हैं ‘,
‘कोई जानबूझ कर बावला बने’,
‘तो क्या करें उसका ‘?
[2]
“हमारी सोच का कमाल ” !
‘मैं ,कान भर-भर कर थक गयी हूँ ,असर कुछ होता ही नहीं ‘,
‘हाय ! बेइज्जती करने लगे,उल्टे पासे पड रहे है आजकल ‘,
‘सोचा-अगर काम की तारीफ करूँ तो शायद बात बन जाए ‘,
‘सोच बदली,फिर दिन बदले,अब आनंद ही आनंद है घर में ‘|
[3]
‘जिसके सहायक बन कर उभरोगे”आपके लिए नत -मस्तक रहेगा’ , ‘उल्टी – सीधी हरकतों से बचोगे ‘ ‘ और याद रक्खेंगे सभी ‘ |
[4]
‘देश को ऊंचाई पर ले जाने का लक्ष्य पाना चाहते हो तो ‘,
‘हर हाल में हिंसा की संस्कृति का अंत होना बेहद जरूरी है ‘,
‘कभी ‘भारत छोड़ो’ गूँजता था ,आज ‘भारत जोड़ो’ कहो ‘,
‘आज हर व्यक्ति, तबका और समाज , उन्नति चाहता है ‘|
[5]
‘लगातार मुंह की खा कर भी अपना ढर्रा नहीं बदला ‘, ‘उल्टे काम करके नरकगामी बनाने की कसम खा ली ‘, ‘कर्मकार बन,किसी के काम आ ,स्वभाव में बदलाव ला ‘, ‘मरना तो निश्चित है,जीने की परिभाषा को बदलता जा ‘|
‘तभी आज तक जिंदा हैं ‘,
‘रो रो कर जीते तो’ ,
‘कभी के मर लिए होते ‘|
दोनों होने जरूरी हैं ‘,
‘मन भटकता नहीं और
‘जीवन’ सुविचारी बना रखता है ‘|
‘हम उसी को काट डालते हैं,’
‘डाक्टर थोड़ी ऑक्सीज़न दे कर,
‘कि मैंने हार मान ली है ‘,
‘अंतिम सांस तक काम करने का इरादा है’ ‘जीना जान गया हूँ मैं ‘|