Home कविताएं “कुछ ऐसे सुविचारों से सजाये रखिए खुद को “

“कुछ ऐसे सुविचारों से सजाये रखिए खुद को “

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[1] 

‘जो  बच्चे  माँ-बाप  के  मुस्कराने  की  वजह  बने  रहते  हैं’ , 
‘लक्ष्मी कभी नहीं रूठती और दाता का दरबार खुला मिलता है’ |

[2]

‘झूठ  को  झूठ  बना  रहने  दो’, 
‘उसे  सच  बनाने  की  कोशिश  न  कर’ ,                                                                                                                                                                            ‘सच’  सदा  ‘सच’  ही  रहता  है’ 
‘उसका  कुछ  नहीं  बिगड़ता  कभी’ |

[3]

‘सुख  दुःख  का  मण्डप  है  जिंदगी’ ‘हाजमा  दुरुस्त  बनाए  रखना  जरूरी  है ,
‘जो  घबरा  गया  अधूरी  जिंदगी  जी  कर  गया” नाम  लेवा  भी  नहीं  कोई’ |

[4]

‘अनेकों  दर्द  पाल  रक्खे  हैं  हमने’ , 
‘मैं  उनका  पक्का  ग्राहक  हूँ ‘,
‘चारों  तरफ  से  घेर  रक्खा  है’ ,
‘पीछा  नहीं  छूटता  कभी ‘|

[5   ]

‘हम  सभी  मोबाइल  पर  उंगली  चला  कर  शेख़ी  बघारते  रहते  हैं ‘,
‘उतनी उंगली  राम-नाम की माला  जपती’, ‘तो  कल्याण  हो जाता ‘|

[6]

‘हम  भी  वही  रिस्ते  भी  वही  रास्ते  भी  वही  बस  समय  की  बात  है ‘,
‘इस दुनियाँ  में -‘समय, अहसास, नज़रिया’ ‘सब  कुछ  बदल  जाता  है ‘|

[7]

‘बेहतर  भविष्य  की  कोशिश,सच  का  साथ’ और  भगवान  पर  विश्वास  रख,’ 
‘सफलता  रुक  नहीं  सकती ,’एक  दिन  दस्तक  जरूर  दे  देगी  तेरे  घर  पर’|

[8]

‘सदा  भवानी  दाहिने ,  सन्मुख  रहें  गणेश ,
‘पाँच  देव  रक्षा  करें  , ब्रह्मा , विष्णु ,महेश ‘|

[9]

‘ अपने  से  ऊपर  वालों  को  मत  देख’ , ‘कंगाल  नज़र  आएगा  तू ‘,
‘नीचे  वालों  में  झांकोगे  तो’ ‘खुद  को  तू  हवेली  राम  समझेगा ‘,
‘ये  ज़िंदगी  के  उदास  लम्हे  होते  हैं’,’असंतुष्टि  के  ही  प्रतीक  हैं ‘,
‘प्रभु  ने  तेरे  लिए  जो  सोचा  है’,’उसमें संतुष्टि क्यों नहीं होती तेरी ‘|

[10]

‘सबके  अपने  अपने  मकान  हो  गए’ ,
‘भाई  भी  अब  मेहमान  हो  गए ‘,
‘चकाचोंध  में  सब  काम  करने  लगे’ ,
‘माता-पिता  व्रद्धाश्रम  के  हो  गए ‘|

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