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“कुछ ऐसे भी सोचिए – कुछ छंद “

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[1]

‘दान  करे  ना  धन  घटे’ , 
‘न  मेहनत  करे  शरीर ‘,
‘पुण्य  करे  से  प्रभु  मिलें ‘,
‘मिटें  रोग  गंभीर ‘|

[2]

‘रिस्तों’  को  अपनी  ‘दौलत’  की  तरह’ 
‘संभाल  कर  रक्खो  सदा ‘,
‘दोनों  को  कमाना’ बडा  दुष्कर  है’ ,
‘गवाने  में’ कुछ  मिनट  नहीं  लगते ‘|

[3]

‘जिन्हें  तुम  अपना  समझते  हो’ ,
‘जब  आपसे  कट  कर  चलने  लगें ‘,
‘समझ  लो  उनकी  जरूरत  पूरी  हो  गयी’,
‘इसी  में  सबकी  भलाई   है ‘|

[4]

‘गजब मिठास थी उससे मिलने में’,’मन मयूर बन कर नाचने लगा’ , 
‘दिल  झूम – झूम  जाता  है ‘  ‘ थकान  नाम  की  चीज  नहीं  है ‘ |

[5]

‘दिल कहता है दोनों का दिल मिलना ही चाहिए’,’हम दिल हार चुके हैं’, 
‘हर धड़कन में तुम ही समाये हो’ ‘दिल की बेचैनी छुपाई नहीं जाती’ |

[6]

‘तुम  हमारे  कौन  हो  और’ 
‘दिल  में  बसते  जा  रहे  हो  क्यों’ ? 
‘हम  तो  बहुत  भोले  थे’ 
‘खामखा  दिल  की  बीमारी  लगा  बैठे’ |

[7]

“कुछ  तो  मेरे  पास  है  बाकी  कमा  लूँगा ‘ 
‘यही  सोच  काम  आएगी’,
‘बाकी  कुछ  भी  सोच’ 
‘सब  धरा  रह  जाएगा  प्यारे’ |

[8]

‘ अगर  रास्ता  साफ-सुथरा  है  तो’,
‘उसकी  जानकारी  जहन  में  रक्खो’ ,
‘अगर  मंजिल  खूबसूरत  हो’ ,
‘कदम  आगे  बढ़ाने  में  देर  मत  करना ‘|

[9]

‘जिंदगी  के  गम  हों  या  खुशी ‘,
‘कुछ  समय  के  मेहमान  होते  हैं ‘,
‘अपनी  जिंदगी  का  फैसला  तुम्हारा  है’ ,
‘कौन  सी  चोपड  बिछाते  हो ‘|     

[10] 

‘जिंदगी  में  ख्वाहिशों  ने  मचल-मचल  कर  ऊधम  मचाए  रक्खा ‘,
‘उन्हें  पूरा  करने  में  जितनी  हिम्मत जरूरी  थी’,’कर  नहीं  पाया ‘,
‘परिणाम  जीरो  रहा  तो  माथा  घूम  गया , जीने  के लाले  पड गए ‘,
‘जब ख़्वाहिशों का गला घोटा तब  जीने का  सलीका  जान  पाया  हूँ ‘|

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