Home कविताएं “कुछ अपनी कुछ तुम्हारी बातें “

“कुछ अपनी कुछ तुम्हारी बातें “

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[1]

‘प्रार्थना -आत्मा की पुकार है’ ,
‘जीभ से नहीं ,ह्रदय से होती है’,
‘यदि जीभ में अमृत”ह्रदय में हलाहल है’ ,
‘फिर अमृत किस काम का ‘?

[2]

‘रिस्ते  वो  मोती  हैं  जो  टूटने  से  पहले  ही’ ‘संभाल  लेने  चाहिए ,’
‘टूटन’  एक  सीलन  भरी  गंदगी  है’,’स्वाभिमान  गिरा  देती  है ,’
‘क्यों  न  दिल  के  तारों  को’ ‘पवित्र  प्रेम  के  धागों  से  ही  बाँधें ,’
‘कभी  गिरह  में  गांठ  न  पड़े’ ‘सदा वो बीज अंकुरित करते रहो ‘|

[3]

‘गुमराह क्यों बने हो ,क्यों अनाड़ी हो ,’
‘घर से निकलो तो सही ,’
‘कदम आगे बढ़ा तो जरा ‘,
‘मंजिल भी मिल जाएगी ‘|

[4]

‘आपके प्रति लोगों ने जो भी धारणा बना रक्खी है , बदल नहीं सकते ,’
‘प्रभु  द्वारा  दिया  जीवन  क्यों  न ‘,’पूरे  सकून  से  जी  लिया  जाए ‘|

[5]

‘जब गुजारा नहीं होता कुंठाग्रस्त प्राणी नित नए पाप करने लगता है ,’
‘अपराधों  की  विभीषिका  में  बेरोजगारी  ही  सबसे  भयंकर  रोग  है ,’
‘अधिकतर लोग मजबूरीवश ,विभोन्न अनैतिक कार्य करने लगते हैं ‘,
‘क़ानूनों में भयंकर बदलाव, उनका पालन, ‘देश की पहली जरूरत है ‘|

[6]

आपस में जहां गुंजाईश होती है वहाँ गल्तियों पर कोई ध्यान ही नहीं देता’ |
‘एक हकीकत ये  भी  है हम सभी  भाई’ ‘गल्तियों  के ही  पुतले  हैं जनाब ‘ |

[7]

‘जिनका दिल’ ‘चेहरे से ज्यादा 
‘खूबसूरत है’,
‘ऐ खुदा ! ज़िंदादिली से नवाज़ कर 
रखना सदा ‘|

[8]

‘जो तुमसे स्नेह करता है पूरा ध्यान रखता है’ , उसे भूल मत जाना,’
‘ध्यान रखना तारों की गिनती करते ‘, ‘कहीं अपना चाँद खो बैठो ‘|

[9]

‘अगर चुने हुए रास्ते सही हैं लोग 
स्वम ही जुड़ जाएंगे’, 
‘समभाव,पुरुषार्थ और प्रेम पिपासा’, 
‘आपका कल्याण कर देंगे ,’|

[10]

‘सूर्य की भांति चमकना चाहते हो तो ‘ ‘ पहले  सूर्य  की  तरह जलना तो सीखो ,’
‘मुंह की लार’ टपकने में देर नहीं करती’,’कद्दावर होने की कवायद तो जान लो’ | ‘|

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