Home जीवन शैली किसी भी कन्या का पूर्ण नारी बनना सार्थक है !

किसी भी कन्या का पूर्ण नारी बनना सार्थक है !

4 second read
0
0
1,317

गहन विचार
————–

आधुनिक समाज मे नारी की सोच काफी बदल गई है और आज की भाग दौड़ की जिंदगी मे अपने कर्तव्य से विमुख होती जा रही है  |
आनुनिक समाज की नारी का झुकाव अपने ससुराल की बजाए अपने मायके की तरफ एक हद से ज्यादा बढता जा रहा है।


वो ये समझती है कि मायके वालो के बिना उसका कोई अस्तित्व ही नही है। और वो इसी सोच के चलते अपना मुख्य कर्तव्य और इस संसार मे अपने आने का उद्देश्य भूल जाती है।
वो ये भूल जाती है कि एक पुत्री तब तक ही पुत्री रहती हैजब तक उसका विवाह नही हो जाता। और विवाह का अर्थ है पिता द्वारा अपनी पुत्री का कन्यादान करना। अर्थात कन्यादान के पश्चात मायके वालो का उस फूल सी कन्या पर कोई अधिकार नही रहता। यही हमारे शास्त्रो का नियम है।


सबसे अहम बात जो है वो ये कि ये सारा संसार एक स्त्री से चलता आया है, चल रहा है और चलता रहेगा। ऊपर वाले ने एक पुत्री को जन्म इस लिए दिया कि वो अपनी जिंदगी का आरम्भ एक स्त्री के रुप मे करे और एक बहुत ही सुन्दर बगिया का निर्माण करे और उस बगिया मे बच्चे रुपी सुन्दर-सुन्दर फूल खिले और वो एक पुत्री से पत्नी बनकर एक पूजनीय माँ होने का गौरव प्राप्त कर सके। तब जाकर एक मंदिर रुपी घर-परिवार बनता है और वो देवी कि दर्जा हासिल करती है। जो कि हमारे घर-परिवार मे पूजा के काबिल बन जाती है।
यहाँ ये बात ध्यान देने योग्य है कि हमारी संस्कृति मे एक देवी /स्त्री पूजनीय माना गया है , पुत्री को नही।
एक पुत्री कभी घर-परिवार नही बसा सकती वो तो एक स्त्री ही कर सकती है।

और मेरे विचार मे इस संसार मे सबसे सुंदर एवं सबसे पवित्र रिश्ता पति-पत्नि का रिश्ता है। बाकि सारे रिश्ते इसी रिशते से निकलते है। एक पत्नि को ही इक नारी होने का गौरव प्राप्त होता है जो सदैव पूजनीय होता है। और कन्या जब एक नारी बनती है तभी उसका ड
जीवन सार्थक व होता है।
अतएव जो स्त्री पुत्री बनने की धुन मे जीती है मतलब अपने भूतकाल मे जीने की कोशिश मे लगी रहती है वो कभी भी नारी नही बन सकती।
ओर इसी कारण वो पूजनीय नही होती ।
और कभी सुखी नही रह सकती ना ही परिवार मे सुख-शांति रहती है। यानि अपना जीवन व्यर्थ मे गंवा देती है।
अतः इस विषय पर गहन चिंतन की आवश्यकता है।

Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In जीवन शैली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…