Home कविताएं उदासी की कविताएँ ‘काल का ग्रास’ बन जाएगा तू !

‘काल का ग्रास’ बन जाएगा तू !

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‘एक दिन इस  संसार  रूपी  बगिया  से’ ‘ सबको  उड   जाना  है’  ,

‘इस  बगिया  की  सुंदरता   पर मस्त  हो ‘, ‘उड़ान  भरता  फिरता है’ ,

‘काल समय  जब  आएगा ‘ , ‘तेरी  जीवन नैया  भी  डोल   जाएगी ‘,

‘मौज-मस्ती  खत्म  हो जाएंगी ‘, ‘मौत  का  ग्रास  बन  जाएगा  तू ‘|

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