Home कविताएं देशभक्ति कविता “कानून धूल फाँकता है ,सब कुछ बिकाऊ है यहाँ ” |

“कानून धूल फाँकता है ,सब कुछ बिकाऊ है यहाँ ” |

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जब   लोग   जान -बूझ   कर  आर्थिक  अपराध   करते   हैं ” ,

 “देश   में   इसके   लिए ” ,” प्रथक   दंडात्मक   व्यवस्था ”  है  ,

 “पर  कानून  धूल  फाँकता  है “, “सब  कुछ  बिकाऊ  है  यहाँ “, 

 “हाथ-पैर तोड़ने जैसी सख्त व्यवस्था की” “देश को जरूरत है” |

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