Home शिक्षा इतिहास “कश्मीर’ और हम ” कुछ मेरे विचार !

“कश्मीर’ और हम ” कुछ मेरे विचार !

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[1]

‘वाद – विवाद   में  उलझे  रहे  तो  सम्मान  खो   बैठोगे  हुज़ूर ‘,
‘अपनों का स्नेह  चाहते हो तो उनसे  कट कर  मत चलना  कभी ‘|

[2]

‘दूसरे  आपके  बारे  में  क्या  सोचते  हैं’ ,
‘यह  बिना  सोचे  आगे  बढ़ो’,
‘समस्या  चलती  फिरती  छाया  है’ ,
‘अंत  होना  सुनिश्चित  है ‘|

[3]

कश्मीर के लिए !
‘कुदरत ने  आज़ादी का दिन  दिखाया है ‘सदुपयोग  कीजिये  उसका’,
‘इसका  दुरुपयोग  कर  दिया  तो  आपसे  अभागा  कोई  और  नहीं ‘|

[4]

‘संस्कार’  माँ  से  सीखो  और  ‘संघर्ष’ करना  पिता  से ‘,
‘चारसोबीसी ‘  तो  आराम  से  दुनियाँ  सिखा  देगी ‘|

[5]

‘जहां  भी  कमजोरी  मिली’,
‘गद्दारों  की  जड़  जमी  निकली’,
‘उनको  जमीदोज़  करते  चलो’ ,
‘माकूल  हालात  का  तगाजा  है ‘|

[6]

‘हमारी  सियासी  पार्टियां  झूठी अफवाहों  को  रोज़  हवा देती  नजर आती  हैं’,
‘कश्मीरी  हमारे  हैं ,  हम  सब  एक  हैं , ‘ जय हिन्द ‘  हमारा  कौमी  नारा  है’|

[7]

‘अब कश्मीरियों  से अपेक्षा  है,’आज़ादी का जश्न  साथ  मिल कर मनाएँ
” सच्चाई , ईमानदारी  और  निडरता  की , छमता  दिखाएँ  , आगे  बढ़ें ‘|

[8]

‘अब  कश्मीर  का  हर  शख्सगुले – गुलजार  होने  को  तैयार  है ‘,
‘उनके  जख्मों  का  मरहम  बन  कर ‘ चलो  गले  मिलें  उनसे ‘|

[9]

प्रार्थना
‘हर  देशवासी  के  मन  में  ‘ राष्ट्रियता ‘  की  भावना   लहराती  रहे ‘,
‘विविधता  में  एकता  पनपे ,हर  किसी  का ‘देशहित’ सर्वोपरि  हो ‘|

[10]

‘हर  कश्मीरी  भारतवंशी  है ,  हर  सुविधा  का  हकदार  है ‘,
‘चलो चल कर समझाएँ उन्हें ,सुख-दुःख में साथ हैं उनके ‘|

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