Home ज़रा सोचो [‘कल्याणकारी शब्द’ ही प्रयोग करें , यही जीवन का निचोड़ है | जरा सोचो |

[‘कल्याणकारी शब्द’ ही प्रयोग करें , यही जीवन का निचोड़ है | जरा सोचो |

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जरा सोचो
‘ कुछ  लोग ‘आवाज’  से ‘दुख  और  खुशी’  का  अंदाज  लगा  लेते  हैं,
‘सदा  ‘तरोताजा’  बनाए  रखना, भगवान  की  ‘बख्शीश’  हैं  उनको’ !

[2]

जरा सोचो
‘ जब ‘परेशानियों’ से गुजरोगे तभी यह ‘जान’ पाओगे,
किसने  ‘ सहारा ‘  दिया  और  कौन  ‘ छिटक’ गया’ !

[3]

जरा सोचो
हे  प्रभु ! मेरा ‘ध्यान’ तुझसे  न  हटे,, ना  तू ‘आंखों’  से  ओझल  हो,
‘ऐसी  ‘कृपा’ करो, मैं  कहीं  भी  रहूं, ‘संतजनों’  का  संग  न  छूटे’ !

[4]

जरा सोचो
‘भक्ति’  में  छल  कपट, चतुराई , और  चालाकी,  काम  नहीं  आते,

‘सादगी,भोलापन, निर्मल प्रेम, और मुस्कुराने के ‘भाव’ टपकते  हैं’ !

[5]

जरा सोचो
‘ प्रेम’- एक  ‘प्रार्थना’  और  ‘परमात्मा  का  ऐहसास’  ही  मानो,
‘अंतर्मन’  ‘शुद्ध’ बना  रहता  है, ‘कुत्सित  विचार’ नहीं  सताते’ !

[6]

जरा सोचो
हे  प्रभु ! जुबान  से ‘कल्याणकारी शब्द’ ही  निकले, सबको  ‘ठंडक’  मिले ,
‘सबके  केवल  ‘ गुण ‘  दिखाई  दें , ‘ जिन्हें ‘ अपनाकर ‘ ‘ आनंद ‘  में  डूबें !

[7]

जरा सोचो
‘ मनुष्य ‘  मनुष्य  को  ‘ धोखा ‘  नहीं  देता,
‘ कमबख्त उम्मीदें’ ही यह ‘जलील काम’ करती  हैं’ !

[8]

जरा सोचो
‘ मिञ’  बना  या  ‘चित्र’  बना, बस  ‘दिल’  से  बना,
‘ जीवन’ का  हर  रंग  ‘निखर’  जाएगा  तेरे  लिए’ !

[9]

जरा सोचो
‘हद’  से  अधिक  ‘ गम ‘ या ‘ खुशी ‘ जाहिर  मत  करो  कभी,
‘लोग’ गमों पर ‘नमक’ छिडकेंगे, ‘खुशी’ को ‘नजर’ लगा देंगे’ !

[10]

जरा सोचो
लोग ‘अच्छी बातें’ ‘पेनड्राइव’ में भरते हैं,’ बुरी’ को ‘दिमाग’ में  रखते  हैं,
‘ यह  क्रम’  उल्टा  हो  जाए  तो , ‘जीने  का  नजरिया’  ही  बदल  जाए’ !

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