‘ज्ञान’ ‘एक कान से सुना’ तो ‘दूसरे कान ‘ से ‘ निकल ‘ जाता है ,
‘कहावत है’ -‘जो सहज मिले’ ‘वह दूध बराबर’ ,’ ठीक ही है’ ,
‘लोग आजकल’ ‘सबकुछ समझते ‘ हैं ,’बस दिखावा ‘ करते हैं ,
‘कलयुग की माया’ , ‘अच्छी बातों को’ ‘ घर बसाने ‘ ही ‘नहीं देती’ |
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[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…
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शुद्ध सुविचार जीवन के आधार हैं , जरा सोचें
जरा सोचो ‘हवा में लट्ठ’ बहुत चला लिया, कुछ ‘काम की बात’ भी करो,… -
*विश्व का सबसे बड़ा व ‘ वैज्ञानिक समय गणना तंत्र ‘ हमारे ऋषि द्वारा प्रतिपादित*
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‘दूसरों की खुशी’ में ‘अपनी खुशी’ ढूँढता हूँ , ‘इंसानियत’ से भरा इंसान हूँ |
[1] जरा सोचो खुल कर ‘ हंसो ‘ , दहाड़ कर ‘ हंसो ‘ , मौका मिल…
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