
“एसी भी क्या मजबूरी” , “सही फैसले कम ही होते है” ?
“दूध को दूध “ और “ पानी को पानी” “ क्यों नहीं कहते” ?
“देश दहक रहा है” ,” काफिरों की दुरंगी चाल में “ ,
“या खुदा” ! “बख्श दे मेरे देश को” ,”अपनी ‘रहमत’ की हवा” |
“एसी भी क्या मजबूरी” , “सही फैसले कम ही होते है” ?
“दूध को दूध “ और “ पानी को पानी” “ क्यों नहीं कहते” ?
“देश दहक रहा है” ,” काफिरों की दुरंगी चाल में “ ,
“या खुदा” ! “बख्श दे मेरे देश को” ,”अपनी ‘रहमत’ की हवा” |
‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धक…
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