मैं थक -हार कर काम से घर वापिस जा रहा था | बेहद ठंडा मौसम था , कार
के शीशे बन्द होते हुए भी न जाने ठंड अंदर घुसी जा रही थी, कोई
दराज़ या कोई सुराख नज़र नहीं आया जो बंद करके ठंड अंदर जाने का
रास्ता बंद हो सके |
गाड़ी चलाता रहा , काँपता रहा , बमुस्किल एक घण्टे बाद घर के दरवाजे पर
गया | आवाज दी लेकिन सब शांत | 15 मिनट की जिददों-जहद के बाद दरवाजा
खुला तो सन्नाटा इतना पसरा था कि आने वाले के जूतों की आवाज़ भी साफ से
सुनाई दे रही थी |
गाड़ी खड़ी करके बाहर का गेट बंद करने जैसे ही आया तो देखा गेट के सामने ही
सड़क पर एक 8/10 वर्ष का बच्चा अपने छोटे से कुत्ते के साथ फुटपाथ पर सो
रहा था जिसने एक पतली सी अधफटी चादर ओढ़ रक्खी थी | इतनी भयंकर ठंड , उस
बच्चे को खुले मे सोता देख मन घबरा गया |
मैंने बहुत बेहतरीन जैकेट , ओवर कोट , सिर पर कैप से पूरा ढक रक्खा था फिर भी
तेज ठंड से कंपकपा रहा था | और वो बेचारा बच्चा | मैं सोच ही रहा था कि इतने
मे कुत्ता भाग कार के नीचे दुबक गया , खुली ठंड से बचाने को कुत्ते ने भी जगह
बना ली थी | मौसम देख कर मैंने कुत्ते को भगाया नहीं और चुपचाप अंदर जा कर
पलंग पर सोने का प्रयास करने लगा |
मेरी नींद गायब हो चुकी थी | उस लड़के का ख्याल आया और सोचने लगा हम लोग
कितने स्वार्थी हैं | मेरे पास तो कम्बल , रज़ाई सब कुछ था परंतु उस बच्चे के पास फटी
चादर उसको भी वह कुत्ते के साथ बाँट कर सो रहा था | घर के फालतू कम्बल , चादर
आदि बहुत थे लेकिन किसी ज़रूरत मंद को देने का मन ही नहीं बनाते | हमारा यह
मन बड़ा बेईमान है सही कार्य करने को भी आसानी से आगे नहीं बढ़ता |
यही सोचते-सोचते मैं सो गया | अगले दिन सुबह उठा तो क्या देखता हूँ कि घर के
बाहर भीड़ लगी हुई थी | जा कर देखा और समझने का प्रयास किया | किसी को
बोलते हुए सुना –” अरे वो चाय बेचने वाला सोनू कल रात ठंड से मर गया’ |
मेरी पलकें तो काँपी और एक आँसू की बूंद छलक गयी | उसकी मौत से किसी को
कोई फरक नहीं पड़ा — बस वह कुत्ता ज़रूर अपने दोस्त बच्चे की बगल मे बैठा था ,
ऐसा लगा जैसे वह उसे जगाने की कोशिश कर रहा हॉ |
दोस्तों — यह कहानी नहीं आज के इंसान की हकीकत है | कटि उंगली पर भी पेशाब
करने को तैयार नहीं कोई | यदि मानव से मानवता चली जाए तो मानव मानव नहीं
रहता |
” हम अपने लिए ही पैदा होते हैं , अपने लिए ही जीते हैं और अपने लिए ही मर
जाते है |
दोस्तों ! आज से प्राण करो —-
1।एक बार जो मानव जीवन मिला है तो मानव बनने का प्रयास किया जाए |
2.अपने घरों के बेकार और जरूरत से फालतू कपड़ों को जरूरत मंदों को दे दिया जाए |
3मौका मिलते ही गरीबों को खाना खिलाया जाए |
4।किसी गरीब को पढाने का संकल्प लिया जाए |
5।समाज सेवा मे समर्थता के अनुसार भागीदार बना जाए |
6।अपनी समर्थता के अनुसार हताश , निराश , रोगी , असमर्थ लोगों की सहायता के लिए
प्रयत्नशील बना जाए |
जय हमारा भारत |