* यह संदेश अवश्य पढ़ें शायद आपके काम आ जाए *
छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।
उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को
बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष
बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।
बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,
कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,
नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ
व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।
अब बचा ही कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम
शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम
थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,
और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ,
तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन
प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?
स्वयं विचार कीजिये :- इतना कुछ होते हुए भी,
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी…

2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी…

3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी…

4- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी…

5- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी…

6- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी…

इंसान के अंदर जो समा जायें वो
” स्वाभिमान “
और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो
” अभिमान “
ये मैसेज पूरा पढ़े, और
अच्छा लगे तो सबको भेजें 


परमात्मा का धन्यवाद करो ,
क्योंकि कुछ लोग
इन लम्हों को तरसते हैं ।

तो परमात्मा का धन्यवाद करो
क्योंकि
बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।

जब तुम तन्दुरुस्त हो ,
क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं ।

की तुम जिन्दा हो ,
क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो
जिंदगी की कीमत क्या है।