Home ज़रा सोचो ‘उचित समझो तो जिंदगी जीना भी सीखिये ‘

‘उचित समझो तो जिंदगी जीना भी सीखिये ‘

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[1]

‘जब दिल और दिमाग में घुस गए हैं हम’ , ‘कैसे निकालोगे बताओ तो’ ? 
‘जब  भी  उदासी  घेरेगी  तुम्हें ‘ ‘ हम  ही  हम  नज़र  आएंगे  जनाब’ |

[2]

‘मत आजमाओ मैं बड़ा फितरती हूँ’ 
‘सीधा दिल में घर बना लूँगा ‘, 
‘मैं अपनी हदें पार नहीं करता’ 
‘इसीलिए सभी स्नेह देते हैं मुझे ‘|

[3]

‘जीवन में दुःख आ कर हमें सचेत करते हैं’ ‘सजग रहो ,’
दुःखों की धार बड़ी पैनी है ,’सुख’ की पहचान करा देती है ‘|

[4]

‘सारी वास्तविकता समझने के लिए’, 
‘विशाल अनुभव की जरूरत है ,
‘अनुभवहीन प्राणी सही स्थिति भांपने में
गच्चा खा ही जाते हैं ‘|

[5]

‘अधिक विलासमय जीवन जिये तो हम पछताएंगे’ ,
‘अकर्मण्यता हमें  किसी  भी  लायक  नहीं  छोड़ेगी ‘,
‘इंसानियत के काम आने का हुनर आना ही चाहिए’ , 
‘हमारा जीवन  गुलाब की भांति  महकता  जाएगा ‘|

[6]

आंसूँ तो अपनों के सामने निकलते हैं’ ,
‘सुनवाई की उम्मीद में ‘,
‘सबके सामने उन्मुक्त हंसी ‘,
‘ज़िंदा दिल बनाए रखती है हमें ‘|

[7]

‘अगर आप  किसी से  कोई उम्मीद  नहीं रखते’,’बहुत  अच्छे  हैं ‘,
‘अगर इच्छा प्रगट कर दी’ ,’नालायकों की श्रेणी में बिठा देंगे तुझे ‘|

[8]

‘नज़दीकियाँ रिस्ते नहीं बनाती ,’दूरियाँ कभी रिस्ते तोड़ती नहीं ‘,
‘भावनाएं शुद्ध हैं तो नज़दीकियाँ/दूरियाँ ‘कुछ नहीं कहती कभी ‘|

[9]

‘ प्यार   अहसास   है ‘ ‘ किसी  का   नाम  नहीं  है ‘,
‘रिस्तों से मत जोड़ो इसे’,’सिर्फ अहसास रहने दो ‘|

[10]

‘अच्छा / बुरा , झूठा – सच्चा  सब  कुछ  वापिस  मिल  ही  जाता  है ‘,
‘क्यों न अपना चरित्र सच्चाई से निभाया जाए,कुछ भला किया जाए ‘?

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