Home कोट्स Spirituality Quotes ” ईश्वर से मिलना है तो ‘भीतर के ‘मैं’ को मिटाना जरूरी है | ” एक प्रेरक प्रसंग ” |

” ईश्वर से मिलना है तो ‘भीतर के ‘मैं’ को मिटाना जरूरी है | ” एक प्रेरक प्रसंग ” |

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भीतर   के   ” मैं ”   का   मिटना   ज़रूरी   है  |
 सुकरात  समुन्द्र  तट  पर  टहल  रहे  थे |  उनकी  नजर  तट  पर  खड़े  एक  रोते  बच्चे  पर  पड़ी  |
वो  उसके  पास  गए  और  प्यार  से  बच्चे  के  सिर  पर  हाथ  फेर  कर  पूछा  , -‘ ‘तुम  क्यों  रो  रहे  हो  ?
लड़के  ने  कहा – ‘ ये  जो  मेरे  हाथ  में  प्याला  है  मैं  उसमें  इस  समुन्द्र  को  भरना  चाहता  हूँ  पर  यह  मेरे  प्याले  में  समाता  ही  नहीं  |
बच्चे  की  बात  सुनकर  सुकरात  विस्माद  में  चले  गये  और  स्वयं  रोने  लगे  |
अब  पूछने  की  बारी  बच्चे  की  थी  |
बच्चा  कहने  लगा – आप  भी  मेरी  तरह  रोने  लगे  पर  आपका  प्याला  कहाँ  है ?
सुकरात  ने  जवाब  दिया –  बालक ,  तुम  छोटे  से  प्याले  में  समुन्द्र  भरना  चाहते  हो , और  मैं  अपनी  छोटी  सी  बुद्धि  में  सारे  संसार  की                     जानकारी  भरना  चाहता  हूँ  |
आज  तुमने  सिखा  दिया  कि  समुन्द्र  प्याले  में  नहीं  समा  सकता  है  ,  मैं  व्यर्थ  ही  बेचैन  रहा  |’
यह  सुनके  बच्चे  ने  प्याले  को  दूर  समुन्द्र  में  फेंक  दिया  और  बोला-  “सागर  अगर  तू  मेरे  प्याले  में  नहीं  समा  सकता  तो  मेरा  प्याला                            तो  तुम्हारे  में  समा  सकता  है  |
इतना  सुनना  था  कि  सुकरात  बच्चे  के  पैरों  में  गिर  पड़े  और  बोले-
बहुत  कीमती  सूत्र  हाथ  में  लगा  है  |
हे  परमात्मा  !  आप  तो   सारा  का  सारा  मुझ  में  नहीं  समा  सकते  हैं  पर  मैं  तो  सारा  का  सारा  आपमें  लीन  हो  सकता  हूँ  |
ईश्वर  की  खोज  में  भटकते  सुकरात  को  ज्ञान  देना  था  तो  भगवान  उस  बालक  में  समा  गए  |
सुकरात  का  सारा  अभिमान  ध्वस्त  कराया  |  जिस  सुकरात  से  मिलने  के  सम्राट  समय  लेते  थे  वह  सुकरात  एक  बच्चे  के                                        चरणों  में  लोट  गए  थे  |
ईश्वर  जब  आपको  अपनी  शरण  में  लेते  हैं  तब  आपके  अंदर  का  ” मैं ”  सबसे  पहले  मिटता  है  |
या  यूँ  कहें  जब  आपके  अंदर  का  ” मैं ”  मिटता  है  तभी  ईश्वर  की  कृपा  होती  है ।
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